पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

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  कहा जाता है कि पितृ पक्ष पितरों के ऋण चुकाने का समय होता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृ पक्ष 2 अक्टूबर को समाप्त होगा, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध का भोजन कौए को खिलाया जाता है। श्राद्ध में कौए का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि अगर कौए ने श्राद्ध का भोजन खा लिया है तो इसका मतलब है कि पितरों ने भी भोजन ग्रहण कर लिया है। पितरों के लिए बनाए गए भोजन में से पंचबली भोग यानी कौए, गाय, कुत्ते, चींटी और देवों का भोग निकालना जरूरी माना जाता है। कहते हैं कि पितृ उनके रूप में धरती पर आते हैं।

पितृ पक्ष में श्राद्ध का भोजन कौए को खिलाने का महत्व

पितृ पक्ष में कौए को भोजन जरूर कराया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, कौए को यम का प्रतीक माना जाता है। अगर कौए श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर लें तो पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है। इतना ही नहीं कौए को भोजना कराने से यमराज प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यम देवता ने कौए को वरदान दिया था कि अगर कौए को खिलाया गया भोजना पितरों की आत्मा को शांति देगा। पितृ पक्ष के दौरान कौए को भोजन कराने से कई गुना अधिक लाभ प्राप्त होगा।

यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।    हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)


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