उत्तराखंड के केदारनाथ उपचुनाव के दौरान सरकारी कर्मचारियों की राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. हाल ही में एक शिक्षक को विपक्षी नेताओं के साथ खड़े होने और चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में निलंबित कर दिया गया.

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इस कार्रवाई ने राज्य की राजनीति में नए विवाद को जन्म दिया है.

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

दरअसल पूरी घटना केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के दौरान की है, जब एक सरकारी शिक्षक विपक्षी कांग्रेस नेता के साथ खड़े नजर आए. चुनावी आचार संहिता के तहत सरकारी कर्मचारियों को किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने की सख्त मनाही होती है. इसके बावजूद, इस शिक्षक की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया. विपक्ष का आरोप है कि यह कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है.

मामला निर्वाचन आयोग तक पहुंचा
इस मामले ने तब और अधिक तूल पकड़ा जब एक पुराने प्रकरण की तुलना सामने आई. राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तराखंड के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी रामकुमार शर्मा की तस्वीरें सामने आई थीं. यह मामला निर्वाचन आयोग तक पहुंचा, लेकिन उस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई. मामले में विभागीय अधिकारियों ने पहले तो चुप्पी साधी और बाद में शिकायत के बाद स्पष्टीकरण लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया.

क्या है नियम?
उत्तराखंड कर्मचारी सेवा नियमावली के तहत सरकारी कर्मचारियों को चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने या किसी नेता के साथ खड़े होने की अनुमति नहीं है. नियमों के उल्लंघन पर न केवल कार्रवाई की जा सकती है, बल्कि नौकरी से बर्खास्तगी तक का प्रावधान है. हालांकि विपक्ष का कहना है कि ये नियम केवल विपक्ष के साथ खड़े होने वाले कर्मचारियों पर लागू किए जा रहे हैं. सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ देखे गए कर्मचारियों पर कार्रवाई के बजाय उन्हें नई जिम्मेदारियां दी जा रही हैं.

हरीश रावत का विरोध
इस घटना पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा कि राजनीति का यह स्तर मैंने पहले कभी नहीं देखा. एक शिक्षक को मेरे साथ फोटो खिंचवाना इतना भारी पड़ सकता है, ये कभी सोचा नहीं था.हरीश रावत ने राज्य सरकार पर कर्मचारियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया और इसे सत्ता का दुरुपयोग करार दिया. उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर कर रही है.


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