महाकुम्भ के दौरान प्रतिदिन करोडों श्रद्धालुओं के स्नान करने के बाद भी संगम का जल शीशे की तरह साफ है, यह दावा किया है पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने। उनका कहना है कि इससे देश-विदेश के कई वैज्ञानिक हैरान हैं और उनसे संगम के जल की शुद्धता पर लगातार जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

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वैज्ञानिक उनसे जानना चाहते हैं कि जिस संगम में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया, उसका जल लगातार शीशे की तरह साफ आखिर कैसे रहा।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

अंडमान से समुद्री सीप लाकर प्रयागराज में मोती पैदा करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किए जा रहे डॉ. सोनकर का कहना है कि बैक्टिरीयोफेज का रहस्य क्या है, यह कैसे मानव शरीर को नुकसान करने वाले बैक्टिरिया को मारने में सक्षम होता है, इस बारे में भी उनसे जानकारी ली जा रही है। वैज्ञानिकों के अलावा हैदराबाद, अंडमान, तमिलनाडु से लेकर अमेरिका, इटली, कनाडा, स्विट्जरलैंड के कुछ लोगों ने भी गंगा की निर्मलता के बारे में जानकारी मांगी है। गंगा जल की शुद्धता पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चुनौती देने वाले डॉ. सोनकर ने बताया कि हैदराबाद के एक उद्योगपति टीजीवी प्रसाद पत्नी के साथ संगम स्नान करने आए और अपने साथ जल लेकर गए। उद्योगपति ने जल का परीक्षण करवाया तो उसमें हानिकारक बैक्टीरिया नहीं मिला। बकौल डॉ. सोनकर ज्यादातर वैज्ञानिक जल में हानिकारक बैक्टीरिया को मारने वाले बैक्टीरियोफेज के बारे में जानकारी ले रहे हैं।

गंगा जल पर शोध जारी, जल्द आएगी रिपोर्ट

डॉ. अजय के अनुसार महाकुम्भ के दौरान वह गंगा जल का परीक्षण कर इसकी शुद्धता दुनिया के सामने लेकर आए। गंगा जल को लेकर उनका शोध अभी जारी है। 20 मार्च तक प्रतिदिन जल के नमूने का परीक्षण होगा। इसके बाद चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आ सकती है। डॉ. सोनकर का कहना है कि करोड़ों रिसर्च पेपर, जनरल प्रकाशित करने वाला एकेडमिया भी उनके अंतिम शोध रिपोर्ट की प्रतीक्षा में है।


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