संपादकीय लेख: “कैंची धाम मेले में ट्रैफिक व्यवस्था की खुली पोल: क्या सेटिंग-गेटिंग ने श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ किया?”

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कैंची धाम,हर वर्ष 15 जून को बाबा नीम करोली महाराज की पावन स्थली कैंची धाम में उमड़ने वाला श्रद्धा का जनसैलाब प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। इस वर्ष भी नैनीताल पुलिस और जिला प्रशासन ने पहले से ही कड़े इंतजामों और ट्रैफिक डायवर्जन की घोषणाएं कर आम जनमानस को यह भरोसा दिलाया था कि व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रहेगी। लेकिन हकीकत ने इस दावे की पोल खोल दी।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

📍 प्रशासनिक निर्देश बनाम जमीनी हकीकत

हल्द्वानी से कैंची धाम तक श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ₹140 प्रति व्यक्ति किराया पर शटल सेवा चलाई गई। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन कैंची धाम पहुंचने से पहले दो किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग कर दी गई ताकि कोई निजी वाहन कैंची धाम के करीब न पहुंच सके। परंतु यथार्थ यह था कि कुछ टू-व्हीलर और प्राइवेट वाहन शटर सेवा बस मंदिर तक पहुंचे और वहीं श्रद्धालुओं को उतारा गया।यह सवाल पैदा करता है कि जब दो किलोमीटर पहले ही पुलिस ने सख्ती से बैरिकेडिंग कर वाहनों की एंट्री रोकी हुई थी, तो ये बसें और टू-व्हीलर कैसे बाबा के मंदिर तक पहुंच गए? हल्द्वानी के लिए सवारियां भारी गई,क्या यह प्रशासनिक चूक थी या किसी ‘सेटिंग-गेटिंग’ का परिणाम?

🚌 शटल सेवा या कमाई का जरिया?

शटल सेवा की आड़ में जो गाड़ियों को सिर्फ एक चक्कर लगाने की अनुमति थी, कई बसों ने 3 से 5 चक्कर लगाए, और उसमें सवारियों कोぎच-ぎच भरकर बैठाया गया। इससे न केवल ट्रैफिक नियमों का खुला उल्लंघन हुआ, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी खतरे में डाली गई।सूत्रों से यह भी सामने आया कि शटल सेवा का संचालन बिना ठोस निगरानी के किया गया। मंदिर के बिल्कुल पास से यात्रियों को चढ़ाया-उतारा जा रहा था, जो नैनीताल पुलिस के दावों को झुठलाता है।

🚔 नैनीताल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

जब मंदिर से दो किलोमीटर पहले ही वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी थी, तो वहां से आगे प्राइवेट गाड़ियों और शटल बसों की एंट्री कैसे हुई? यदि यह अनुमति विशेष मामलों में दी गई थी, तो उन्हीं कुछ बसों को बार-बार चक्कर लगाने की छूट कैसे दी गई?यह सब सिर्फ ‘मैनेजमेंट’ नहीं, बल्कि ‘मैनेजिंग’ का खेल दिखता है – जहां व्यवस्था के नाम पर मनमानी और सेटिंग का बोलबाला रहा।

🙏 श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ खिलवाड़

कई श्रद्धालुओं को बैरिकेडिंग से दो किलोमीटर पहले उतार दिया गया, जहां वे घंटों अपने शटल का इंतजार करते रहे। कुछ बुजुर्गों और महिलाओं को पैदल ही चढ़ाई करनी पड़ी, जबकि कुछ ‘पसंदीदा’ यात्रियों को मंदिर तक पहुंचाने वाली गाड़ियों में बिठाया गया।क्या यह ‘समता’ है? क्या यह बाबा की शिक्षाओं के अनुरूप है?

📣 मांग और प्रश्न

  1. नैनीताल पुलिस स्पष्ट करे कि जब ट्रैफिक प्रतिबंध लागू थे, तो मंदिर तक बसें और टू-व्हीलर कैसे पहुंचे?
  2. क्या शटल सेवाओं की कोई निगरानी टीम थी या पूरा नियंत्रण प्राइवेट हाथों में छोड़ दिया गया था?
  3. जिन गाड़ियों ने तयशुदा नियमों से अधिक चक्कर लगाए, क्या उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई?

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कैंची धाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, श्रद्धा और अनुशासन का प्रतीक है। लेकिन यदि उसी स्थल पर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ें, श्रद्धालु सुविधा के नाम पर ठगे जाएं, और ‘सेटिंग-गेटिंग’ का खुला खेल चले – तो यह केवल विफल प्रशासनिक तंत्र नहीं, आस्था के साथ धोखा है।यह समय है कि नैनीताल पुलिस जवाबदेह बने और अगले वर्ष की व्यवस्था के लिए अभी से पारदर्शी योजना तैयार की जाए – ताकि बाबा की नगरी में श्रद्धा के साथ-साथ व्यवस्था भी श्रद्धेय बन सके।– संपादकीय विभाग, शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स(लेखक: अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर)



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