संपादकीय लेख स्वतंत्रता दिवस का सच्चा अर्थ—कर्तव्य और संकल्प का संगम

Spread the love

रूद्रपुर में 79वां स्वतंत्रता दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन भर नहीं था, बल्कि यह हमारे अतीत की गौरवगाथा और भविष्य की जिम्मेदारी का सजीव प्रतीक बनकर सामने आया। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया व मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी ने जिस गरिमा के साथ ध्वजारोहण किया और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व उनके परिजनों का सम्मान किया, वह इस बात का प्रमाण है कि आज भी बलिदान की स्मृति हमारी सांसों में जीवित है।

कार्यक्रम में दो स्पष्ट संदेश उभरे—पहला, स्वतंत्रता केवल अधिकारों का उपहार नहीं, बल्कि जिम्मेदारियों का आह्वान है। जिलाधिकारी का यह कहना कि “हम सभी को अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी” एक प्रेरक सूत्र है, जो हर नागरिक के लिए मार्गदर्शन बन सकता है। दूसरा, मुख्य विकास अधिकारी का यह स्मरण कि गरीब और जरूरतमंद को योजनाओं का लाभ पहुंचाना ही महापुरुषों के सपनों की सच्ची श्रद्धांजलि है, हमारे प्रशासनिक ढांचे के लिए एक स्पष्ट दिशा देता है।

इस अवसर पर प्रशासन ने न केवल भाषणों में देशभक्ति का संचार किया, बल्कि उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और खेल प्रतिभाओं को सम्मानित कर यह संदेश भी दिया कि कर्म और समर्पण की पहचान होनी चाहिए। क्रॉस कंट्री रेस के विजेताओं से लेकर स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वालों तक—यह सम्मान प्रेरणा की नई ऊर्जा जगाता है।

आज, जब स्वतंत्रता का अर्थ कई बार सिर्फ उत्सव और औपचारिक झंडारोहण तक सीमित हो जाता है, रूद्रपुर के इस आयोजन ने यह याद दिलाया कि यह दिन आत्ममंथन का भी है। हमें यह देखना होगा कि क्या हम अपने-अपने क्षेत्र में वही समर्पण, साहस और ईमानदारी दिखा रहे हैं, जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने दिखाया था।

स्वतंत्रता दिवस तभी सार्थक होगा जब हम इसे केवल बीते गौरव का उत्सव न मानकर, भविष्य के निर्माण का संकल्प दिवस बनाएँ—जहाँ हर हाथ जिम्मेदारी निभाए और हर हृदय देश के लिए धड़के। यही हमारे वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


Spread the love