संपादकीय लेख जहाँ टीम इंडिया के लिए विकल्पों की भरमार ने चयनकर्ताओं को उलझन में डाला है, वहीं अगस्त का महीना क्रिकेट जगत को दो महान खिलाड़ियों की विदाई की पीड़ा भी दे गया।”

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एशिया कप 2025: चयन का पेंच और क्रिकेट का दुखद अगस्त?एशिया कप 2025 की आहट के साथ ही भारतीय क्रिकेट में हलचल तेज हो गई है। आईपीएल की सफलता ने टीम इंडिया के लिए विकल्पों का भंडार तो दे दिया है, लेकिन यही भंडार चयनकर्ताओं के सामने “पेंच” बनकर खड़ा है। 15 खिलाड़ियों की लिस्ट में से सिर्फ 6 स्थान खाली हैं और उन पर करीब 15 नाम दावेदारी जता रहे हैं। सवाल यह है कि ऐसे हालात में संतुलित टीम कैसे बनेगी?

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

टॉप-ऑर्डर के लिए अभिषेक शर्मा, संजू सैमसन, यशस्वी जायसवाल, तिलक वर्मा, शुभमन गिल और साई सुदर्शन जैसे खिलाड़ी कतार में हैं। लेकिन मौका सिर्फ तीन को मिलेगा। यह वही स्थिति है जहां “अधिकता ही संकट” बन जाती है। गिल जैसे दिग्गज का नाम भी सवालों के घेरे में होना बताता है कि क्रिकेट अब केवल अनुभव का खेल नहीं, बल्कि वर्तमान फॉर्म और टीम की ज़रूरत पर आधारित हो चुका है। इसी तरह स्पिन विभाग और विकेटकीपर स्लॉट में भी जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है। हार्दिक पांड्या, सूर्यकुमार यादव, अक्षर पटेल और अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी तो लगभग फिक्स माने जा रहे हैं, लेकिन बाकी जगहों पर चयन का गणित बेहद कठिन है।

यह भी सही है कि भारतीय क्रिकेट ने अब इतनी प्रतिभा पैदा कर दी है कि “एक जगह–कई उम्मीदवार” का दबाव चयनकर्ताओं पर हमेशा रहेगा। मगर यह दबाव कहीं-कहीं टीम संतुलन को भी बिगाड़ सकता है। चयनकर्ताओं को भविष्य की सोच और टूर्नामेंट की ज़रूरतों के बीच संतुलन साधना होगा।

दूसरी ओर, अगस्त का महीना क्रिकेट प्रेमियों के लिए दुखद साबित हुआ है। एक ओर जहां भारत ने अपने एक पूर्व खिलाड़ी को खोया, वहीं ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने उस दिग्गज को विदाई दी, जिसने कंगारू क्रिकेट की नींव को मजबूत किया था। यह संयोग ही है कि दोनों महान हस्तियां एक ही महीने में इस दुनिया से चली गईं। क्रिकेट का यह नुकसान खेल से जुड़े हर प्रशंसक के लिए गहरी पीड़ा छोड़ गया है।

ऐसे समय में जब टीम इंडिया एशिया कप की तैयारियों में लगी है, यह स्मरण भी ज़रूरी है कि महान खिलाड़ी सिर्फ मैदान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा छोड़कर जाते हैं। आज की युवा प्रतिभाओं को यही समझना होगा कि क्रिकेट केवल रन और विकेट का खेल नहीं, बल्कि निरंतरता, संघर्ष और अनुशासन की विरासत है।

एशिया कप की चुनौती और इन दिग्गजों की याद हमें एक साथ यह सिखाती है कि जहां वर्तमान में बेहतर चयन की ज़रूरत है, वहीं अतीत के नायकों को याद रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। यही संतुलन भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाएगा।



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