पंतनगर एयरपोर्ट का विस्तार कर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की कवायद शुरू हो गई है। यदि यह योजना परवान चढ़ी तो उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम (टीडीसी) की 4.62 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होगा।

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प्रिंट न्यूज़ -शैल ग्लोबल टाइम्स।।
अवतार सिंह बिष्ट। रूद्रपुर ,उत्तराखंड/ (उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी)

टीडीसी ने अपनी परिसंपत्तियों का आकलन कर 96 करोड़ रुपये मुआवजे का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए प्रस्तावित ले-आउट प्लान के तहत एयरपोर्ट के पास मौजूदा भूमि के अलावा 670 एकड़ अतिरिक्त भूमि की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए पंत विवि की 565.24, सिडकुल की 43.04़, कृषि विभाग की 18.78, लोक निर्माण विभाग की 26.0, तराई स्टेट फार्म की 12.30 और टीडीसी की 4.62 एकड़ भूमि को चिह्नित किया गया है।

सूत्रों के अनुसार टीडीसी के अधिकारियों ने 10-15 दिन पूर्व अपनी परिसंपत्तियों का आकलन कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी थी। जिसका मूल्यांकन कर 96 करोड़ रुपये मुआवजे का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। साथ ही टीडीसी को अन्यंत्र स्थापित करने के लिए सरकार से इतनी ही भूमि की मांग भी की गई है। हालांकि टीडीसी में छह वर्ष से कृषक निदेशकों के चुनाव नहीं हुए थे। अभी हाल ही में संपन्न चुनाव के बाद से एजीएम भी नहीं हो सकी है जिसके आने वाले समय में होने पर मुआवजे के प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना है। इस मामले में जीएम डाॅ. एके वर्मा से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने मीटिंग में व्यस्त हूं कह कर पल्ला झाड़ लिया।

भेंट चढ़ेंगे कई आवास, कार्यालय और शोध केंद्र
पंतनगर। एयरपोर्ट विस्तार के लिए चिह्नित भूमि की जद में आने से बीएसपीसी, वीआरसी, एग्रो फारेस्ट्री, औषधीय-सगंध पौध अनुसंधान केंद्र, हल्दी आवासीय परिसर, पंतनगर थाना, टीडीसी कार्यालय, प्रोसेसिंग प्लांट, टिश्यू कल्चर लैब व विवि फार्म निदेशालय, जैव प्रौद्योगिकी परिषद और यूको बैंक भेंट चढ़ जाएंगे। इतना ही नहीं इसकी जद में आने वाले राजमार्ग सहित 148 भवन, 13 कार्यालय, 12 टिनशेड गोदाम, 25 झोपड़ियां, 10 पाॅली हाउस, चार ट्यूबवेल, तीन विद्यालय, दो पानी टंकियां व 19 दुकानें, सामुदायिक भवन, सस्ते गल्ले की दुकान और मंदिर जमींदोज होकर सिर्फ यादें बनकर रह जाएंगे। संवाद

जीवनदायिनी नदियां और नहरें भी जद में
पंतनगर। पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की जद में जीवनदायिनी नदियां और नहरें भी आ रही हैं जिसमें बैगुल, हल्दी, बरौर व मदनी नदियों सहित कनेटा, कोठा व बरौर नहरें शामिल हैं। यदि इनसे छेड़छाड़ हुई और इनका उचित प्रबंधन व संरक्षण नहीं किया गया तो यह विस्तारीकरण की भेंट चढ़कर जल्द दम तोड़ देंगी। संवाद

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अवतार सिंह बिष्ट। रूद्रपुर ,उत्तराखंड/ (उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी)

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