
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में इस पर सहमति बनी है।


सोमवार को सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में दोनों विभागों ने स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधारीकरण में सामने आ रही दिक्कतों व कमियों के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
दो वर्ष अनिवार्य सेवा की मांग
स्वास्थ्य शिक्षा के प्रस्तुतीकरण में संकाय सदस्यों की समयबद्ध पदोन्नति एवं स्थानांतरण नीति बनाने, विशेषज्ञ चिकित्सकों को एम्स के चिकित्सकों के समान वेतन देने, एसआर और जेआर के मानदेय में बढ़ोतरी करने का विषय उठाया गया। साथ ही सभी पीजी छात्रों के लिए नई बांड पॉलिसी के अनुसार पीजी करने के उपरांत प्रदेश में दो वर्ष अनिवार्य सेवा की मांग की जाए।
मेडिकल कॉलेजों के सफल संचालन को कुशल पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती, नर्सिंग व पैरामेडिकल छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था व आउटसोर्स के माध्यम से आवश्यकता के अनुसार पदों का सृजन एवं कार्मिकों की क्षमता निर्माण के लिए नीति बनाए जाने का विषय रखा गया।
स्वास्थ्य विभाग ने अपने प्रस्तुतीकरण में विशेषज्ञ संवर्ग का गठन करने, पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात चिकित्सकों के वेतनमान का 50 प्रतिशत विशेष भत्ता स्वीकृत करने व सभी चिकित्सा अधिकारियों को वाहन भत्ता दिए जाने की मांग रखी। साथ ही 60 वर्ष की आयु के उपरांत मुख्य परामर्शदाता के रूप में सेवाएं देने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों का वेतनमान निर्धारित करने की भी मांग की गई।
बैठक में कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की गई। वित्त व कार्मिक की सहायता से चिकित्सा शिक्षा के सुदृढ़ीकरण को अहम निर्णय लिए गए हैं। इनके शीघ्र क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
-डाॅ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री उत्तराखंड
बैठक में मुख्य सचिव कार्मिक एवं वित्त आनंद बर्द्धन, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष अरविंद सिंह ह्यांकी, सचिव स्वास्थ्य डा आर राजेश कुमार, अपर सचिव स्वास्थ्य आनंद श्रीवास्तव, स्वाति भदौरिया, अनुराधा पाल, नमामि बंसल, अपर सचिव वित्त अमिता जोशी और महानिदेशक स्वास्थ्य डाॅ. तारा आर्य समेत विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
