
न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, कर्ज मुक्ति, और पेंशन योजना सहित 12 मांगों को लेकर किसान आंदोलन पर हैं।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
उन्होंने पांच बार दिल्ली कूच करने की कोशिश भी की। इस आंदोलन को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन से नई ऊर्जा मिली। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया और पंजाब सरकार को डल्लेवाल को चिकित्सकीय सहायता देने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद केंद्र सरकार ने दिखाया था सकारात्मक रुख
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर एक साल चले आंदोलन को केंद्र सरकार ने एक समझौता करके खत्म कर दिया था, लेकिन उस समझौते की मुख्य मांगों पर आज तक अमल नहीं हो सका है। पहला आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा की अगुआई में हुआ था। डल्लेवाल की अगुआई में नया आंदोलन 13 फरवरी 2024 से शुरू हुआ। आंदोलन में जान बनाए रखने के लिए डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठे। उनकी बिगड़ती सेहत पर सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद केंद्र सरकार ने भी सकारात्मक रुख अपनाया और बातचीत की तारीख का एलान किया।
ऐसा नहीं है कि किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने बातचीत न की हो। किसानों की नाराजगी को देखते हुए 2024 में केंद्र सरकार ने आठ और फिर 12 फरवरी को संगठन के नेताओं से बातचीत की थी। इसके बाद 13 फरवरी से किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया। सरकार ने 15 और फिर 18 फरवरी 2024 को भी किसान नेताओं के साथ बातचीत की। तब भी कोई हल नहीं निकला। इसके बाद से मामला ठंडा पड़ गया। शुक्रवार को प्रस्तावित बातचीत पर सभी की निगाहें टिकी हैं। किसानों को उम्मीद है कि इस बार केंद्र सरकार उनकी अवश्य सुनेगी। इस नए संवाद में जरूरी है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को सुनें और एक-दो कदम पीछे भी हटें, तभी कोई हल निकल पाएगा।
