
गैरसैण किताब कौथिग 2025,4 से 6 अप्रैल 2025 के मध्य उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में आयोजित तेरहवां किताब कौथिग एक ऐतिहासिक, सार्थक और समावेशी आयोजन के रूप में सामने आया। युवा जनप्रतिनिधि और गैरसैण नगर पंचायत के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मोहन भंडारी की सक्रिय पहल और सहयोग से यह आयोजन संभव हो सका। क्रिएटिव उत्तराखंड, नगर पंचायत गैरसैण और बालप्रहरी पत्रिका द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह उत्सव बच्चों, युवाओं, अभिभावकों, विशेषज्ञों और साहित्यप्रेमियों का साक्षात् मिलन बन गया।


गैरसैण किताब कौथिग 2025: एक साहित्यिक-सांस्कृतिक उत्सव की ऐतिहासिक उड़ान! साहित्य, संस्कृति और सृजनशीलता का ऐतिहासिक संगम।
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता] https://hindustanglobaltimes.com/news/
बाल लेखन कार्यशाला: भविष्य की कल्पनाओं को शब्द
इस भव्य आयोजन की शुरुआत 31 मार्च से 4 अप्रैल तक पूर्व प्रधानाचार्य बी.एस. बुटोला के संयोजन में आयोजित पाँच दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला से हुई। कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक बाल साहित्यकार उदय किरौला ने बच्चों को रचनात्मक लेखन की विविध विधाओं – निबंध, कहानी, कविता, पत्र लेखन, यात्रा वृत्तांत – से परिचित कराया।
कार्यशाला में भाग लेने वाले विद्यालयों की सूची में शामिल थे:
राजीव गांधी नवोदय विद्यालय, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, श्रीनगर उच्च प्राथमिक विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर, सरस्वती इंटर कॉलेज, न्यू होप एकेडमी, आर.के.जे.एस. हंस फाउंडेशन इंटर कॉलेज, सीडलिंग पब्लिक स्कूल, श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल और राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैण।
140 बच्चों ने अपनी हस्तलिखित किताबें तैयार कीं, जिनमें शीर्षक थे: बाल मुस्कान, बाल प्रहरी, बाल वाटिका, बाल मन, किशोरी स्वर, नई ज्योति, नई किरण, संभावना, बाल उमंग आदि। इन पुस्तकों में बच्चों की कल्पनाएं, अनुभव, दिनचर्या, प्रेरणाएं और भविष्य के सपने बुनकर प्रस्तुत किए गए।
कार्यशाला के दौरान नुक्कड़ नाटक, समूह गीत, ओरिगेमी, कहानी वाचन जैसी गतिविधियों ने बच्चों की सहभागिता को बहुआयामी बना दिया। कार्यशाला की उपलब्धियों को कौथिग के दौरान एक विशेष स्टॉल में प्रदर्शित किया गया, जिसने आगंतुकों को बच्चों के सृजनात्मक सामर्थ्य से रूबरू कराया।
4 अप्रैल: कार्यशाला का समापन और करियर काउंसलिंग
कार्यशाला के अंतिम दिन गैरसैण के विद्यालयों में देशभर से आए विशेषज्ञों द्वारा करियर काउंसलिंग सत्रों का आयोजन हुआ। छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वरोजगार, पैरामेडिकल, रक्षा विज्ञान और हस्तशिल्प कला जैसे उभरते क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं से अवगत कराया गया।
स्थानीय युवा चित्रकार मुकुल बडोनी ने बच्चों के साथ मिलकर “Wall Painting Workshop” के अंतर्गत “आओ, दोस्ती करें किताबों से” थीम पर एक भव्य कलाकृति तैयार की, जो गैरसैण की दीवारों को सजाती रही और किताबों से रिश्ते को जीवंत बनाती रही।
5 अप्रैल: कौथिग का औपचारिक शुभारंभ और विचार विमर्श
5 अप्रैल को मुख्य मैदान में हजारों की उपस्थिति में पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल और नगर पंचायत अध्यक्ष मोहन भंडारी ने दीप प्रज्वलन कर गैरसैण किताब कौथिग 2025 का विधिवत शुभारंभ किया। स्थानीय स्कूलों के बच्चों ने गणेश स्तुति और मां सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम की सांस्कृतिक शुरुआत की।
मेले के विभिन्न स्टॉलों में किताबें, विज्ञान मॉडल, कठपुतली निर्माण, स्थानीय उत्पाद, विज्ञान प्रयोग, तकनीकी नवाचार जैसे विषयों ने बच्चों और अभिभावकों को विशेष रूप से आकर्षित किया।
मंचीय कार्यक्रमों में “अंगदान जागरूकता और थैलेसीमिया रोग” पर पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. ललित उप्रेती और दयाल पांडे ने प्रभावी संवाद किया।
तकनीकी विशेषज्ञ नवीन चंद्र ने “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस छोटे व्यापारियों के लिए कैसे उपयोगी हो सकता है” विषय पर स्थानीय जनता से संवाद स्थापित किया।
पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल और डॉ. अजय ढोंढियाल के बीच “हमारे लोकसंगीत में महिलाओं के स्वर” विषय पर हुई चर्चा में महिला सहभागिता विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
सांस्कृतिक संध्या में लोकगायक दीवान कनवाल और डॉ. अजय ढोंढियाल की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “घुघुति जागर टीम” की लोकधुनों पर पूरा मैदान झूम उठा।
6 अप्रैल: नेचर वॉक, साहित्यिक संवाद और समापन समारोह
6 अप्रैल की सुबह नेचर वॉक से हुई जिसमें वन्यजीव विशेषज्ञ श्री राजेश भट्ट ने पक्षी अवलोकन और पारिस्थितिकीय पर्यटन के महत्व पर जानकारी दी।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने जैव विविधता की रक्षा और चीड़ वृक्षों के बढ़ते खतरे पर चिंता व्यक्त की। वनस्पति विशेषज्ञ डॉ. बी.एस. कालाकोटी ने स्थानीय जड़ी-बूटियों की जानकारी साझा की।
55 आदमखोर जानवरों से क्षेत्र को मुक्त कराने वाले लखपत सिंह रावत ने अपने अनुभव सुनाकर रोमांच पैदा किया। माधुरी बड़थ्वाल और घुघुति जागर टीम ने अपने प्रकृति-आधारित गीतों से नेचर वॉक को संगीतमय बना दिया।
मुख्य मंच पर “चिपको और मैती आंदोलन की भूमिका” पर पद्मश्री कल्याण रावत और भैरव असनोड़ा ने संवाद किया। रानीखेत से आई लेखिका अलका कौशिक और हेम पंत ने “वैश्विक यात्रा अनुभव और स्थानीय पर्यटन” पर महत्वपूर्ण बातें रखीं।
राज्य मंत्री वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड उत्तराखंड ने विभिन्न स्टॉल्स का निरीक्षण किया।
एक सशक्त सत्र में प्रो. एस.एस. रावत, मनीष और मोहन भंडारी ने “गैरसैण राजधानी और शहीदों के सपने” विषय पर विचार साझा किए, जो युवाओं के बीच चर्चा का विषय बना।
बहुभाषीय कविसम्मेलन और रक्तदान शिविर
कार्यक्रम के समापन समारोह में हरिद्वार के वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश पांडे के संयोजन में बहुभाषीय कविसम्मेलन हुआ। डॉ. नीरज नैथानी, बीना बेंजवाल, मदन डुकलान, डॉ. शम्भु प्रसाद भट्ट “स्नेहिल”, दयाल पांडे, शांति प्रसाद “जिज्ञासु”, आसीस सुन्दरियाल, विनेश पोखरियाल, भूपेंद्र कंडारी, दीक्षा जोशी, सतीश डिमरी, लक्ष्मण सिंह पंवार जैसे नामचीन कवियों ने हिंदी, गढ़वाली और कुमाउनी में रचनाएं प्रस्तुत कीं।
साथ ही, स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित रक्तदान शिविर में मोहन भंडारी ने सबसे पहले रक्तदान कर समाजसेवा का संदेश दिया। कुल 15 लोगों ने इस पुनीत कार्य में भाग लिया।
प्रदर्शनी और प्रकाशक
मेले में नेशनल बुक ट्रस्ट, अविचल प्रकाशन, देवभूमि प्रकाशन, विनसर प्रकाशन, संभावना प्रकाशन, अंकित प्रकाशन सहित 40 से अधिक प्रकाशकों की किताबें उपलब्ध थीं।
ऐपन टेक्नोलॉजी, पिरुल वूमन मंजू साह, समय साक्ष्य, स्किलीफाइ, मुनस्यारी हाउस, सुबेर संस्था, कठपुतली केंद्र, नेपाली साहित्य ‘हाम्रो पुस्तकालय’, आदि के स्टॉल्स ने दर्शकों को विविधता का अनुभव दिया।
अंतिम शब्द: भविष्य की तैयारी
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक हेम पंत ने बताया कि यह आयोजन पहले श्रीनगर गढ़वाल में फरवरी माह में प्रस्तावित था, लेकिन स्थानीय परिस्थितियों के कारण उसे स्थगित करना पड़ा। गैरसैण में आयोजन की सफलता के बाद अब टीम अगले किताब कौथिग की तैयारी में जुट चुकी है।
विशेष उपस्थिति और आभार
इस कार्यक्रम में पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल, पद्मश्री कल्याण रावत, कवि मदन डुकलान, बीना बेंजवाल, तकनीकी विशेषज्ञ नवीन चंद्र, पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. ललित उप्रेती, लेखिका अलका कौशिक, चित्रकार मुकुल बडोनी, दीक्षा जोशी, लोकगायक दीवान कनवाल, रक्षा वैज्ञानिक डॉ. सतीश पंत, और “घुघुति जागर टीम” सहित अनेक प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की ऐतिहासिक सफलता में नगर पंचायत अध्यक्ष मोहन भंडारी और दयाल पांडे (क्रिएटिव उत्तराखंड) के प्रयासों को विशेष श्रेय दिया गया।
भुवनेश्वरी महिला आश्रम, नैनीताल बैंक, एलएससी इन्फ्राटेक, दीर्घायु ऑर्गेनिक, भारतीय जीवन बीमा निगम, लीलाधर भट्ट मेमोरियल फाउंडेशन, ओहो रेडियो, चांदनी इंटरप्राइजेज जैसे सहयोगियों का भी आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
