उत्तराखंड के दो शहरों में ‘वेस्ट टू एनर्जी’ मॉडल के तहत कूड़े से बिजली और खाद बनना शुरू हो गया है।

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अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बढ़ती आबादी से शहरों में निकलने वाले कूड़े की मात्रा दिनों-दिन बढ़ रही है और नगर निकायों के सामने स्वच्छता से लेकर पर्यावरण प्रदूषण की चुनौती पेश आ रही है जिससे निपटने की राह रुद्रपुर नगर निगम और मसूरी नगर पालिका ने दिखाई है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

उन्होंने बताया कि 40 वार्ड वाले रुद्रपुर नगर निगम में प्रतिदिन 105 से 118 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। रुद्रपुर नगर निगम ने नवंबर 2022 में पीपीपी मॉडल के तहत ‘वेस्ट टू एनर्जी’ संयंत्र पर काम प्रारंभ किया था जिससे अब रोजाना छह किलोवॉट बिजली के साथ ही जैविक खाद का भी उत्पादन होने लगा है।

इस संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन 50 टन कूड़ा निस्तारण की है। हालांकि, वर्तमान में यह संयंत्र प्रतिदिन 30 टन कूड़ा निस्तारित कर पा रहा है जिससे बिजली के साथ ही ”कल्याणी” नाम से जैविक खाद भी बन रही है।

मसूरी नगर पालिका ने भी इसी साल मई से ‘वेस्ट टू एनर्जी’ संयंत्र से उत्पादन शुरू कर दिया है। पीपीपी मोड के इस संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन आठ टन कूड़ा निस्तारण की है। इस कूड़े से नगर पालिका बायो गैस पैदा करने के साथ ही जैविक खाद का भी उत्पादन कर रही है। इससे मसूरी जैसे पयर्टक स्थल पर कूड़े की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण संभव हो पाया है।

नगर निकायों के कूड़ा निस्तारण के तरीके पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार पहले दिन से ही ”परिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था” में संतुलन बनाने पर जोर दे रही है।

उन्होंने कहा, ”इसी क्रम में ‘वेस्ट टू एनर्जी’ संयंत्र तैयार किये गये और कूड़े से बिजली पैदा की जा रही है। हम हर हाल में उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”


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