
सोरोस का अमेरिकी राजनीति पर प्रभाव


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
जॉर्ज सोरोस लंबे समय से अमेरिकी राजनीति में डेमोक्रेटिक नेताओं और प्रगतिशील मुद्दों के सबसे बड़े समर्थकों में से एक रहे हैं. उनकी डेमोक्रेसी पीएसी II ने जून 2024 में सीनेट मेजॉरिटी पीएसी को $2.5 मिलियन का दान दिया. 2021 से 2024 के बीच उन्होंने कुल $16 मिलियन डेमोक्रेटिक पार्टी को दिए. सीनेट मेजॉरिटी लीडर चक शूमर और सोरोस परिवार के बीच करीबी संबंधों ने हालिया राजनीतिक और न्यायिक फैसलों को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
बाइडन को सोरोस का समर्थन
सोरोस ने 2020 में बाइडन के चुनाव अभियान के लिए $2,800 दिए थे. उनकी संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने कई ‘प्रगतिशील’ अभियानों को फंड किया, जैसे कि Gen Z for Change, जिसने युवाओं के बीच बाइडन की नीतियों को प्रचारित किया. यह ग्रुप व्हाइट हाउस और डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के साथ काम करता है. ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने इसे 2020 और 2021 में $5.5 मिलियन दिए, जिसमें से $300,000 2022 में Gen Z for Change को दिए गए.
अदानी पर आरोप और केन्या डील रद्द
मार्च 2021 में चक शूमर की सिफारिश पर ब्रीऑन पीस को न्यूयॉर्क ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट का यूएस अटॉर्नी बनाया गया. अगस्त 2021 में उन्होंने पद संभाला और हाल ही में अदानी पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए. इसके तुरंत बाद, केन्या सरकार ने अदानी ग्रुप के साथ 30 साल की डील रद्द कर दी. इस डील में पावर लाइन और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण शामिल था.
केन्या और सोरोस का कनेक्शन
मई 2024 में व्हाइट हाउस में केन्या के सम्मान में आयोजित डिनर में जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस शामिल हुए थे. एलेक्स सोरोस, जो अब $25 बिलियन की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन संभालते हैं, अक्सर बाइडन प्रशासन के साथ मीटिंग्स में नजर आते हैं. व्हाइट हाउस विजिटर लॉग के अनुसार, एलेक्स ने 2021 से 2024 के बीच लगभग 25 बार व्हाइट हाउस का दौरा किया. वे डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन जैसे बड़े आयोजनों में भी सक्रिय रहे हैं.
ग्लोबल कनेक्शन और साजिश के सवाल
हालांकि, जॉर्ज या एलेक्स सोरोस और केन्या के इस फैसले के बीच कोई सीधा लिंक नहीं है. लेकिन अमेरिका के अदानी पर लगाए गए आरोप और केन्या डील रद्द होने के समय में समानता से साजिश की चर्चा तेज हो गई है. जॉर्ज सोरोस के वैश्विक नेटवर्क और प्रभाव को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या यह एक सोची-समझी रणनीति है या महज एक इत्तेफाक? आज की दुनिया में राजनीति और व्यापार के ये जटिल कनेक्शन साफ दिखाते हैं कि कैसे एक देश में उठने वाली लहर, दूसरे देशों तक असर करती है.
