उत्तराखंड में ब्याही दूसरे राज्यों की लड़कियों को बेसिक शिक्षक भर्ती में राज्य के आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। समाज कल्याण, कार्मिक और न्याय विभाग की राय लेने के बाद सरकार ने इस मामले में सोमवार को तस्वीर साफ कर दी।

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सोमवार को शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने महानिदेशक को कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दे दिए। उत्तराखंड आकर आरक्षित वर्ग का प्रमाणपत्र बनाने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र की जांच की जाएगी।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

बेसिक शिक्षक भर्ती में ऐसे करीब 52 मामले सामने आए हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार के अंक में इसके संकेत दे दिए थे। आदेश में कहा गया है कि कार्मिक विभाग के 10 अक्तूबर 2002 के जीओ के अनुसार राज्य की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति पुनर्गठन अधिनियम की पांचवीं एवं छठीं अनुसूची में पृथक से चिन्हित हो चुकी है।

इसलिए यूपी या अन्य किसी राज्य का कोई व्यक्ति उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के लिए तय आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता। इसके बाद 16 फरवरी 2004 को कार्मिक विभाग ने एक बार फिर जीओ जारी करते हुए साफ कर दिया था कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों में से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्रों की जांच संबंधित जिलों के डीएम के स्तर पर भी अनिवार्य रूप से कराई जाएगी।

एसडीएम स्तर के अधिकारी पंद्रह दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट देंगे। यदि जांच में प्रमाणपत्र प्रमाण-पत्र जाली और त्रुटिपूर्ण रूप से जारी किया गया पाया गया तो ऐसे अभ्यर्थी का चयन निरस्त कर दिया जाएगा।

सचिव ने निदेशक को निर्देश दिए कि उत्तराखंड में ब्याहे गए अभ्यर्थियों ने यदि आरक्षित वर्ग का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है तो उनके मामले में कार्मिक विभाग के वर्ष 2004 के आदेश के अनुसार कार्यवाही की जाए। मालूम हो कि बेसिक शिक्षक भर्ती में हरिद्वार, यूएसनगर, समेत कुछ जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं।


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