Hindustan Global Times, Avtar Singh Bisht,चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है,क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 17 नवंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। बिहार में यह पर्व विशेषतौर पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा की तिथियां अर्घ्य का समय और पारण समय क्या है।

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नहाय-खाय तिथि
छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है इसका पहला दिन नहाय-खाय होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। बता दें कि छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

खरना तिथि
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।

संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा होता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य
चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।

छठ का त्योहार महज सेलिब्रेशन नहीं है, बल्कि यह एक तरीका है प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करने का, महिलाएं और पुरुष दोनों ही इस व्रत को करते हैं, नहाए खाए के साथ छठ शुरू हो जाता है और इस दिन खास कद्दू भात बनाया जाता है.

छठ पर्व पर चढ़ाए जाने वाले हर कोई ठेकुआ के बारे में जानता है और लोग बड़े चाव के साथ इसे खाते हैं. वहीं इस दौरान बनने वाला कद्दू भात भी सबसे पॉपुलर रेसिपी में सेएक है. नहाय खाए के दिन चने की दाल, अरवा चावल और कद्दू की सब्जी को खाने के बाद ही छठ का व्रत शुरू किया जाता है. तो चलिए जानते हैं ट्रेडिशनल रेसिपी.

कद्दू भात बनाने के लिए चाहिए होंगे ये इनग्रेडिएंट्स

बिहार में लौकी को कद्दू के नाम से भी जानते हैं. इसलिए कद्दू भात की रेसिपी के लिए आपको चाहिए होगी आधा किलो लौकी, आधा कप चने की दाल, सेंधा नमक स्वाद के हिसाब से लें. करीब आधा चम्मच हल्दी पाउडर, करीब एक कप पानी, दो कटी हरी मिर्ची. इसके साथ आपको चाहिए होंगे अपनी पसंद के चावल.

तड़का लगाने के लिए इनग्रेडिएंट्स

आधा टीस्पून जीरा, एक चौथाई चम्मच हींग, एक से दो चम्मच घी, एक से दो सूखी लाल मिर्च, दो से तीन तेज पत्ता.

इस तरह बनाएं चावल

चावलों को बनाने से पहले दो पानी से अच्छी तरह धो लें और आधा घंटा के लिए भीगोकर रख दें. अब एक गहरे और मोटे तले वाले बर्तन में चावल के दोगुना पानी तो आग पर चढ़ा दें. यानी एक कटोरी चावल हैं तो दो कटोरी पानी उबलने के लिए रखें. जब पानी में उबाल आए तो उसमें भीगे हुए चावल डाल दें, साथ में एक चम्मच घी और थोड़ा सा सेंधा नमक डालें. अब ढंक कर मीडिया आंच पर पकाएं, जब पानी सूखने लगे तो आंच को हल्का कर दें. कुछ देर में चावल बनकर तैयार हो जाएंगे.

कद्दू और चना दाल की सब्जी बनाने का तरीका

सबसे पहले कूकर में लौकी और चना दाल को एक कप पानी के साथ उबलने रखें, इसमें हल्दी पाउडर और सेंधा नमक भी डाल दें. साथ ही थोड़ा सा घी डाल सकती हैं. इससे पानी कूकर के बाहर नहीं आता है. एक से दो सीटी लग जाने के बाद गैस ऑफ कर लें और चेक करें की लौकी और दाल सही से पक गई हो.

सब्जी में तड़का लगाने का तरीका

कढ़ाही में घी या फिर तेल को गर्म कर लें, इसमें जीर डालकर चटकाएं, फिर तेजपत्ता, कटी हरी मिर्च, सूखी मिर्च और फिर हींग डालें. इसमें एक चम्मच अदरक का पेस्ट भी डाल सकती हैं. अब इसे दो मिनट तक चलाएं और उबली ही चना दाल व लौकी डाल दें. इसे हल्का सा चम्मच से घोट लें और अच्छा टेक्सचर आने तक पकाएं. तैयार है आपकी कद्दू भात की रेसिपी. इस पूरी डिश को अगर आप मिट्टी के चूल्हे पर पकाएंगी तो और भी अच्छा स्वाद आता है.

बिहार में छठ के दौरान एक अलग ही धूम देखने को मिलती है. कहा जाता है कि छठ सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि एक आस्था और इमोशन है जिसके साथ लोग बेहद गहराई के साथ जुड़े हुए हैं. तीन दिनों तक चलने वाला ये त्योहार दिन शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 को शुरू हो जाएगा और इसका समापन 20 नवंबर 2023, सोमवार को होगा.


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