

पिथौरागढ़ में आयोजित सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंच से इन बातों को बोलकर कुमाऊं के आदि कैलाश को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिला दी।


ऐसे में सीमांत में तीर्थाटन एवं पर्यटन के लिए नई सुविधाएं मिलेंगी। होम स्टे का विस्तार होगा। होटल खुलेंगे। निवेश बढ़ेगा और पलायन भी काफी हद तक रुकेगा। आलवेदर रोड बनने के बाद तीर्थयात्री और पर्यटक आदि कैलाश पहुंच रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ज्योलिंगकोंग आने के बाद आदि कैलाश को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के रूप में पहचान मिली है।
आदि कैलाश को कैलाश के ही बराबर माना जाता है। कैलाश मानसरोवर के लिए जहां चीन सरकार के वीजा की आवश्यकता होती है, वहीं आदि कैलाश के देश में ही होने से मात्र इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है। आदि कैलाश तक सड़क बनने के बाद से ज्योलिंगकोंग तक वाहन से पहुंचा जा सकता है, जहां से आदि कैलाश व पार्वती कुंड के दर्शन होते हैं।

मंदिर में पूजा भी कर सकते हैं। वहीं आदि कैलाश के लिए कई टूर एवं ट्रेवल्स भी सुविधा मुहैया करा रहे हैं। राजधानी दिल्ली से चल कर दूसरे दिन आदि कैलाश पहुंचा जा सकता है। गुरुवार को प्रधानमंत्री के दौरे और इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट उनकी फोटो के बाद से लोग आदि कैलाश के बारे में जानने को उत्सुक दिख रहे हैं।
गुरुवार से ही इंटरनेट मीडिया पर आदि कैलाश, गौरी कुंड और ज्योलिंगकोंग ट्रेंड करने लगा। पिथौरागढ़ की सभा में स्वयं मोदी ने भी कहा कि उन्होंने पहचान दे दी है और अब संभालने का काम आप का है।
आदि कैलाश के साथ ऊं पर्वत के भी दर्शन
आदि कैलाश की यात्रा के साथ ही ऊं पर्वत के भी दर्शन हो जाते हैं। आदि कैलाश और ऊं पर्वत को जाने वाला मार्ग गुंजी तक एक है। गुंजी से दोनों मार्ग अलग होते हैं। दोनों स्थलों की सड़क दूरी मात्र 56-57 किमी है। यात्रा एक साथ हो जाती है। आदि कैलाश के लिए ज्योलिंगकोंग तो ऊं पर्वत के लिए नावीढांग जाना पड़ता है। अब दरकार पर्यटन सुविधाओं की है।
जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ रीना जोशी का कहना है कि,
पर्यटन सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है। इनरलाइन परमिट के लिए आनलाइन व्यवस्था है। प्रशासन पर्यटन की सुविधाओं के विस्तार के लिए कार्य कर रहा है। हम इसे लेकर बेहद गंभीर
