हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ,अवतार सिंह बिष्ट, अध्यक्ष ,उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद पूर्वमेयर रामपाल सिंह, तीन अन्य पर दर्ज मुकदमे में मीडिया ने लिखा गलत तथ्य ,वास्तव में माननीय न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है। पेड़ों को काटने और गायब करने का जबकि मीडिया के लोग लिख रहे हैं सरकारी जमीन पर कब्जा किया जाने का मुकदमा हुआ है दर्ज।। जानकारी के लिए बता दें कि सरकारी जमीन कब्जा किया जाने का मुकदमा नगर निगम अथवा जिला प्रशासन लिखवाता है ।कोई भी बाहर का व्यक्ति सरकारी जमीन से संबंधित मुकदमा नहीं लिखवा सकता।। जिस व्यक्ति बालक नाथ ने तीनों के विरुद्ध माननीय न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है।। वह स्वयं नजूल पर काबिज हैं। और नजूल पर काबिज व्यक्ति के द्वारा नजूल पर कब्जाने का मुकदमा नहीं लिखाया जा सकता।। माननीय न्यायालय के आदेश पर निवृत्तिमान में रामपाल विकास शर्मा तथा रोशन अरोड़ा के विरुद्ध जो मुकदमा दर्ज हुआ है वह मुकदमा धारा 379 तथा भारतीय वन अधिनियम 1927 धारा 26 के अंतर्गत है ।यह दोनों धाराएं जमीन से संबंधित नहीं है। दोनों धाराएं वन विभाग की पेड़ों से तथा पेड़ों की जड़ों को लुप्त करने से संबंधित है। अधूरी जानकारी के चलते खबर प्रसारित हो रही है,सरकारी जमीन पर कब्जाने का मुकदमा दर्ज,

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रूद्रपुर। भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा ने हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहां की मेरे खिलाफ दर्ज मुकदमे को राजनीतिक प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास करार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोची समझी साजिश के तहत उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है सच्चाई की जीत होगी।
मीडिया को जारी बयान में प्रदेश मंत्री ने कहा कि शैलजा फार्म में पेड़ काटने के प्रकरण से उनका कोई लेना देना नहीं है। उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए कुछ लोगों उन्हें साजिशन इस मामले में घसीटा है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने आरोप लगाये हैं वह खुद नगर निगम की भूमि पर अवैध कब्जेदार है। उक्त भूमि नगर निगम की है, लेकिन आरोप लगाने वाला व्यक्ति खुद को उक्त भूमि का मालिक बताकर माननीय न्यायालय को भी गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। प्रदेश मंत्री ने कहा कि इस मामले में वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं। माननीय न्यायालय के आदेश का वह सम्मान करते हैं, पुलिस को जांच में पूरा सहयोग किया जायेगा। उन्हें न्याय पालिका पर भरोसा है। जांच में दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।

उपरोक्त जमीन जो की पूर्ण रूप से उत्तराखंड सरकार के अधीन है गौ सेवा के नाम पर जमीन को कब्जाने की की गई थी कोशिश।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ,अवतार सिंह बिष्ट, अध्यक्ष ,उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद

मेयर रामपाल एवं प्रदेश मंत्री विकास शर्मा, रोशन अरोड़ा के द्वारा उपरोक्त नजूल भूमि को, धार्मिक स्थान में तब्दील करने की कार्रवाई की गई। जिसमें नगर निगम पूर्ण रूप से भागीदार रहा, गौशाला के प्रार्थी के द्वारा जब उन्हें गौशाला की जमीन से बेदखल करने की कार्रवाई हुई, बयान बाजी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चला। कोर्ट के आदेश पर पेड़ों को काटने एवं कटे हुए पेड़ों को गायब करने का मुकदमा कोर्ट के आदेश से दर्ज हुआ। शहर के गलियारों में खबरों के माध्यम से जमीन कब्जा करने का मुकदमा दर्ज होने की खूब चर्चा चल रही है।

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लेकिन वास्तविकता में उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारीर्यों की भू अध्यादेश 1950 व सशक्त भू कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद एवं संयुक्त समिति के द्वारा देहरादून में कई बार आंदोलन भी किए गए। सशक्त भू कानून बनने से इस तरह की भ्रामक खबरें और नजूल भूमि पर कब्जे पर विराम लगेगा। उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में 10000000000000000 करोड़ से ज्यादा की जमीन है।विभाजित कर दी गई। या फिर विवादित कर दी गई। आज उत्तराखंड के अंदर देश-विदेश की कंपनियां स्थापित होना चाहती हैं। उत्तराखंड को अग्रिम प्रदेश बनाने के लिए जैसा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विजन 2025 तक उत्तराखंड को देश का अग्रिम प्रदेश बनाएंगे। ( विजन ) इस तरह के बड़े भूखंडों को सरकार अपने अधीन ले और उसमें रोजगार के साधन, फैक्ट्रियां स्थापित करें। उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना

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