Horror Places In Uttarakhand: उत्तराखंड की वो भयानक भूतिया जगहें, जहां दिन में भी जाने से पहले लोगों के छुट्टेतें है पसीने

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Horror Places In Uttarakhand: देवभूमि यानी उत्तराखंड में लाखों- करोड़ देवी देवताओं का वास माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस खूबसूरत जगह और पवित्र जगह पर कोई भूतिया जगह भी हो सकती है।

उत्तराखंड में कई ऐसी जगह है, जहां पर भूतों का वास माना जाता है। इन स्थानों पर लोग दिन में भी जाने से थर-थर कापते हैं। अगर कभी आपका भी इन जगहों पर जाना होता है या होकर गुजर चुके हैं, तो आज ही सतर्क हो जाए।

उत्तराखंड की वे जगहें जहां भूतों का डेरा

लोहाघाट-मुक्ति कोठरी

प्रदेश के चंपावत जिले में स्थित लोहाघाट भारत की सबसे भयंकर स्थान में से एक है। केवट पहाड़ी पर स्थित अभय बांग्ला उत्तराखंड में सबसे डरावनी जगह में से एक माना जाता है। यहां के आसपास रहने वाले लोग भी यहां से अक्सर डरावनी आवाज सुनते हैं, और सिर्फ सुनते ही नहीं है बल्कि लोग तो बंगले के आसपास भी जाने से डरते हैं। शुरुआती दिनों में यह बंगला एक ब्रिटिश परिवार का हुआ करता था, जिसने इसे अस्पताल बनाने के लिए बेच दिया था।

अस्पताल काफी ज्यादा फेमस हो गया था लेकिन एक डॉक्टर ने लोगों की मृत्यु की भविष्यवाणी करना शुरू कर दी। दिलचस्प बात यह थी जिस दिन डॉक्टर किसी की भी मृत्यु की बात बताता उसी दिन उनकी मृत्यु हो जाती। लेकिन असलियत कुछ और ही थी, दरअसल डॉक्टर अपनी भविष्यवाणी को सही साबित करने के लिए मरीज को ‘मुक्ति-कोठारी’ नाम के कमरे में ले जाता और उनकी हत्या कर देता था। ऐसा माना जाता है कि वह मरीज जिन्होंने तड़प तड़प कर दम तोड़ा था वह आज भी इस बंगले में घूम रहे हैं।

मुलीनगर मैनशन

उत्तराखंड में 1825 से भी पहले बनेमूलीनगर मैनशन की कहानी बेहद ही दिलचस्प है, यह मेंशन वैसे तो देखने में आपको बड़ा ही आकर्षक लगेगा, लेकिन इसके अंदर की कहानी आपके पसीने छुड़ा देगी। यह बात कोई नहीं जानता कि इस मेंशन के मालिक की मृत्यु कैसे हुई थी और कैसे यह मेंशन अचानक से खाली हो गया। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां कुछ अजीब चीज होती हैं। लोगों कामना है कि इस मेंशन में इसके मालिक कैप्टन यंग का भूत घूमता है।

लंबी देहर माइन

उत्तराखंड के मसूरी में लंबी दोहन की खदान है। यह खदान पूरी तरह खाली पड़ी हुई है। इस जगह को स्थानीय लोग भूतिया बताते हैं। लोगों का मानना है कि यहां 1990 में खदान में काम करने वाले मजदूर बुरी तरह से बीमार पड़ गए थे और देखते ही देखते 50 हजार से भी ज्यादा मजदूर के अधिक बीमार होने के बाद इस खदान को बंद कर दिया गया। उसे दौरान तकरीबन 15 साल लोग गांव छोड़कर कहीं और पलायन कर गए थे। उसके बाद से ही जगह को भूतिया घोषित कर दिया गया।

डिस्क्लेमर : इस लेख में बताई गई जानकारी/सामग्री में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचना है।


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