हाल ही में महिला नागा साधुओं के वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन वीडियो के जरिए यह सवाल उठता है कि क्या महिला नागा साधु भी दिगंबर रहती हैं? और अगर ऐसा है, तो वे मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान क्या करती हैं?


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
महिलाओं के लिए अलग नियम
महिला नागा साधु दिगंबर नहीं रहतीं। वे केवल केसरिया रंग का वस्त्र धारण करती हैं, जो सिला हुआ नहीं होता। इसे ‘गंटी’ कहा जाता है। इस कारण उन्हें पीरियड्स के दौरान किसी विशेष समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
महिलाओं के लिए कठिन साधना
महिला नागा साधु बनना आसान नहीं है। दीक्षा लेने के पहले उन्हें 6 से 12 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। दीक्षा के दौरान सांसारिक जीवन के सभी बंधनों और रिश्तों का त्याग करना पड़ता है। वे अपना पिंडदान करती हैं, सिर मुंडवाती हैं और नए जीवन की शुरुआत करती हैं। इस दौरान आभूषण और सांसारिक वस्त्रों को त्यागना अनिवार्य होता है।
आध्यात्मिक साधना का जीवन
महिला नागा साधु जीवन शिव की पूजा, तपस्या और ध्यान में व्यतीत करती हैं। वे साधारण और न्यूनतम जीवन जीती हैं। जंगल, गुफाओं और पहाड़ों में रहकर कठोर तप करती हैं। भोजन और अन्य आवश्यकताओं को भी सीमित रखा जाता है।
धार्मिक आयोजनों में भागीदारी
महिला नागा साधु कुंभ मेले और अन्य धार्मिक आयोजनों में भाग लेती हैं। वे पुरुष नागा साधुओं की तरह अपने ध्वज के साथ जुलूसों में शामिल होती हैं। हालांकि, उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर दिगंबर रहने की अनुमति नहीं होती।
महिला नागा साधुओं का महत्वपूर्ण स्थान
नागा साधुओं की परंपरा में महिला नागा साधुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। वह बहुत ही कठन तरीके से भक्ति मार्ग पर चलती हैं. उनके जीवन में शिव भक्ति का असर साफ तौर पर देखा जा सकता है. आम आदमी अगर अच्छे तरीके से जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा लेना चाहता है तो उन्होंने नागा साधुओं की उन शिक्षाओं को अपनाना चाहिए जो थोड़ी आसान होती हैं.

