विजयादशमी पर नीलकंठ दर्शन का महत्व, रुद्रपुर सहित पूरे उत्तराखंड में धूमधाम से मना दशहरा

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विजयादशमी पर नीलकंठ दर्शन का महत्व, रुद्रपुर सहित पूरे उत्तराखंड में धूमधाम से मना दशहरा

रुद्रपुर/देहरादून।आज देशभर में विजयादशमी का पर्व बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। उत्तराखंड के समस्त 13 जनपदों में दशहरा महोत्सव की गूंज है। पर्व की विशेषता सिर्फ भगवान श्रीराम की रावण पर विजय से ही नहीं जुड़ी है, बल्कि इस दिन एक और परंपरा विशेष रूप से निभाई जाती है—नीलकंठ पक्षी के दर्शन। मान्यता है कि दशहरे पर नीलकंठ दिखाई देना जीवन में शुभता, समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है।


क्यों खास है दशहरा का दिन?हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी अथवा दशहरा मनाया जाता है। यह पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है। त्रेतायुग की उस महागाथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने अधर्म और अन्याय के प्रतीक रावण का वध किया था, तभी से इस दिन को अच्छाई की बुराई पर विजय के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।

उत्तराखंड में दशहरे का सामाजिक और धार्मिक महत्व दोनों ही रूपों में गहरा है। रुद्रपुर, हल्द्वानी, नैनीताल, देहरादून और हरिद्वार जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ कस्बों और गांवों में भी इस पर्व की धूम देखने लायक होती है।


नीलकंठ पक्षी के दर्शन की परंपरा?लोकमान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि रावण से युद्ध करने से पूर्व भगवान राम को भी नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। तभी से दशहरे पर नीलकंठ देखने की परंपरा प्रारंभ हुई।

क्या है इसका महत्व?

  • दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी दिखाई देना शुभ संकेत माना जाता है।
  • मान्यता है कि यह संकेत है कि जीवन में नई ऊर्जा और समृद्धि का आगमन होगा।
  • इसे सफलता, सौभाग्य और धन-धान्य वृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी दशहरे के दिन परिवारजन बच्चे-बुजुर्ग मिलकर प्रातःकाल घर की छत या खुले आकाश की ओर नीलकंठ पक्षी को देखने की प्रथा निभाते हैं।


नीलकंठ और भगवान शिव का संबंध?नीलकंठ पक्षी का महत्व केवल रामायण की कथा तक सीमित नहीं है। इसका सीधा संबंध भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है। महादेव को ‘नीलकंठ’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि समुद्र मंथन के समय उन्होंने हलाहल विष का पान कर लिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया था।

कहा जाता है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए लक्ष्मण सहित भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी। तब शिवजी ने उन्हें नीलकंठ रूप में दर्शन दिए। इसीलिए दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को महादेव के आशीर्वाद के रूप में माना जाता है।


शुभ संकेतों की मान्यता?ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में भी यह उल्लेख मिलता है कि नीलकंठ पक्षी शुभ समाचार और सकारात्मक ऊर्जा का दूत है।

  • यदि दशहरा वाले दिन नीलकंठ दिख जाए तो माना जाता है कि घर में सुख-शांति का वास होता है।
  • व्यापार और कार्यक्षेत्र में नई सफलता मिलती है।
  • किसी रुके हुए कार्य में जल्द ही अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • इसे परिवार में खुशहाली और समृद्धि का सूचक भी माना गया है।

उत्तराखंड में दशहरे की धूम?राज्य के सभी 13 जनपदों—देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी—में दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।

रुद्रपुर की खास तैयारियां?रुद्रपुर गांधी पार्क और मेट्रोपोलिस सिटी ग्राउंड में इस बार खास इंतजाम किए गए हैं। यहां विशालकाय रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाएगा। अनुमान है कि इस बार पिछले वर्ष से अधिक भीड़ उमड़ेगी। इसी को देखते हुए प्रशासन ने यातायात और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं।

  • पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती की गई है।
  • यातायात को सुचारू रखने के लिए कई रूट डायवर्जन लागू किए गए हैं।
  • सीसीटीवी निगरानी और ड्रोन कैमरे से भीड़ पर नजर रखी जाएगी।

अन्य जगहों की झलक

  • गदरपुर, खटीमा और सितारगंज में स्थानीय रामलीला समितियों द्वारा भव्य झांकी और रामलीला मंचन किया जा रहा है।
  • काशीपुर और दिनेशपुर में दशहरा मैदानों पर सुबह से ही मेले जैसा माहौल है।
  • लालकुआं और पंतनगर में बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह है।
  • हल्द्वानी और नैनीताल में रावण दहन कार्यक्रम के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी।
  • देहरादून और हरिद्वार में तो दशहरा मेला धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र बन गया है, जहां हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू?दशहरा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज में बुराई के खिलाफ संघर्ष और अच्छाई की स्थापना का संदेश भी देता है। रामलीला मंचनों के माध्यम से आदर्शों, मूल्यों और संस्कृति की सीख दी जाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से भगवान राम ने रावण का अंत कर धर्म की स्थापना की, उसी तरह समाज को भी लोभ, अहंकार, क्रोध और अन्य विकारों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।


हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स का संदेश

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की ओर से इस पावन अवसर पर हम रुद्रपुरवासियों, समस्त उत्तराखंडवासियों और देशभर के पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।

यह पर्व हमें प्रेरणा देता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, यदि हम सत्य और धर्म के मार्ग पर डटे रहें तो अंततः विजय हमारी ही होगी।


कुल मिलाकर, दशहरा केवल रावण दहन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व नीलकंठ के दर्शन से जुड़े धार्मिक विश्वास, भगवान शिव की कृपा, और समाज को अच्छाई के मार्ग पर चलने का संदेश भी देता है। इस बार रुद्रपुर समेत पूरे उत्तराखंड में जोश और उल्लास के बीच दशहरा मनाया जा रहा है, और सभी श्रद्धालु अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए इस पावन दिन का उत्सव मना रहे हैं।



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