सटीक उड़ान से जुड़ी अपनी तरह की पहली पहल के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।

Spread the love

प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनोमी) में दो उपग्रह हैं, जिनमें दो अंतरिक्ष यान ने एक साथ उड़ान भरी। इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को ईएसए से प्रक्षेपण का ऑर्डर मिला है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

ISRO PROBA-3 मिशन का उद्देश्य क्या है

मिशन का उद्देश्य सटीक उड़ान का प्रदर्शन करना है और उपग्रहों के अंदर मौजूद दो अंतरिक्ष यान कोरोनाग्राफ (310 किग्रा) और ऑकुल्टर (240 किग्रा) को वांछित कक्षा स्तर पर पहुंचाने के बाद एक साथ ‘स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन’ में प्रक्षेपित किया जाएगा।

संशोधित उल्टी गिनती के अंत में, 44.5 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी59 रॉकेट अपनी 61वीं उड़ान पर तथा पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के साथ 26वीं उड़ान पर यहां अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वनिर्धारित समय 4.04 बजे प्रक्षेपित हुआ। अठारह मिनट की उड़ान भरने के बाद, रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक अलग कर दिया, जिन्हें बाद में बेल्जियम में ईएसए के वैज्ञानिकों द्वारा वांछित कक्षा में स्थापित किया गया।

योजना के अनुसार उपग्रह उच्च पृथ्वी कक्षा में पहुंच गए और उनकी परिक्रमा अवधि 19.7 किमी होगी, जिसमें 60,530 किमी का अपभू (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) और 600 किमी का उपभू (पृथ्वी से सबसे निकटतम बिंदु) होगा।

‘ऑकुल्टर’ अंतरिक्ष यान सूर्य की सौर डिस्क को अवरुद्ध कर देगा, जिससे ‘कोरोनाग्राफ’ को वैज्ञानिक अवलोकन के लिए सूर्य के कोरोना या आसपास के वातावरण का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। ईएसए ने कहा कि कोरोना सूर्य से भी ज्यादा गर्म है और यहीं से अंतरिक्षीय वातावरण की उत्पत्ति होती है। यह व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक रुचि का विषय भी है।

इसरो के लिए, यह प्रक्षेपण अपने पहले मिशन- आदित्य-एल 1 के बाद सूर्य पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा, जिसे सितंबर 2023 में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। प्रोबा-3 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसे जनरल सपोर्ट टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है। उपग्रहों पर लगे उपकरण एक बार में छह घंटे तक सौर परिधि के करीब यात्रा करेंगे और प्रत्येक अंतरिक्ष यान पृथ्वी के चारों ओर लगभग 19 घंटे की परिक्रमा करेगा।


Spread the love