उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कई गांवों में बैलों के लिए यमराज साक्षात जमीं पर आए हुए हैं. यहां एक के बाद एक कई बैल मर रहे हैं. पशुपालकों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है.

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और तो और पशु चिकित्‍सा विभाग खुद सकते में है, कयोंकि रात को अचानक उनके पेट में हलचल होती है और इसके बाद नाक से खून आता है. ऐसा होते ही थोड़ी ही देर में मवेशी दम तोड़ देता है. आइये जानते हैं पूरी रिपोर्ट…हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

दरअसल, पौड़ी जिले के थलीसैंण ब्लॉक में गंगाऊ, कोटा, भीड़ा समेत अन्य गांव में पशुपालकों के बैल अचानक दम तोड़ रहे हैं. इससे पशु चिकित्सा विभाग सख्ते में हैं. हो ये रहा है कि मवेशियों के पेट में रात में गैस बनती है. इसके बाद ये उनके फेंफड़ों तक पहुंचती है और उनके नाक से खून आने लगता है. क से खून आने के बाद मवेशी अचानक दम तोड़ रहे हैं.

जानकारी के अनुसार, अब तक 10 से अधिक मवेशी इन लक्षणों के बाद दम तोड़ चुके हैं. वहीं, 20 से अधिक मवेशी इन लक्षणों की चपेट में हैं. पशु चिकित्सा विभाग पहली नजर में इसे ग्रास पॉइजनिंग बता रहा हैं. यानि उसका मानना है कि घास से जहर उनके शरीर में जा रहा है.

हालांकि इस रोग से ग्रस्त मवेशियों के सैंपल पशु चिकित्सा विभाग ने ले लिए हैं, जिन्हें लैब टेस्ट के लिए बरेली भेजा जा रहा है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने इन गांवों का मुआयना किया है, जिसके बाद उसे प्राइमा फेसिया लग रहा है कि मवेशियों ने चरने के बाद कुछ जहरीली घास खाई हो, जिस कारण मवेशियों की तबियत बिगड़ रही है.

एतियात के तौर पर पशु चिकित्सा विभाग की टीम को दवाओं के साथ क्षेत्र में भेजा गया है. वहीं इस रोग की रोकथाम के लिए ग्रामीणों से अपील की गई है कि जिन बर्तन, खोरों में मवेशी एक साथ खाते, पीते हैं, उन्हें साफ किया जाए और चूने का छिड़काव उन कमरों में किया जाए, जहां मवेशी ठहरते हैं.

बता दें कि बांधवगढ़ में भी 11 हथियों की मौत के बाद उनके मरने के राज का पता लगाया गया था, जिसमें जांच के दौरान पता लगा कि कोदो फसल खा लेने से उनकी मृत्‍यु हुई. अब देखना ये है कि बन बैलों के मरने के पीछे कौन सी घास जिम्‍मेदार है.


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