
यह संदेश अमेरिका और इटली में स्थित तीन वेधशालाओं द्वारा प्राप्त किया गया था, जिसमें से डाटा को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी साझा किया गया था ताकि आम नागरिक और अंतरिक्ष उत्साही इस सिग्नल को समझने की कोशिश कर सकें.


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
संदेश को डिकोड करने के लिए वैज्ञानिकों और नागरिकों को डाटा से पहले सिग्नल को अलग करना था. इसके बाद, उन्हें इस जटिल संदेश को समझने के लिए कई तरह के गणितीय और कंप्यूटर सिमुलेशन का सहारा लेना पड़ा.
पिता-बेटी की जोड़ी ने डिकोड किया एलियंस का मैसेज
अमेरिका के एक पिता-बेटी की जोड़ी, केन और केली चैफिन, इस संदेश को डिकोड करने वाली पहली टीम बनकर उभरी. दोनों पिछले एक साल से ‘ए साइन इन स्पेस’ नामक इस परियोजना पर काम कर रहे थे, जिसका उद्देश्य यह देखना था कि क्या मानव एलियंस के संपर्क में आने पर संदेश को समझने में सक्षम होंगे. 22 अक्टूबर को, केन और केली ने सफलता प्राप्त करते हुए इस रहस्यमयी संदेश को डिकोड कर लिया.
बायोलॉजिकल कनेक्शन से जुड़ा हुआ है मैसेज
डिकोडिंग प्रक्रिया के दौरान, चैफिन परिवार ने पाया कि संदेश में बायोलॉजिकल संकेत थे. यह संदेश काले बैकग्राउंड पर सफेद पिक्सल्स के समूह की तरह दिखाई दे रहा था, जिनमें पांच अलग-अलग कॉन्फिगरेशन थे. इन कॉन्फ़िगरेशन में एमिनो एसिड्स के संकेत मिले, जो जीवन के निर्माण खंड माने जाते हैं. केन चैफिन, जिन्हें सेलुलर ऑटोमाटा में दशकों का अनुभव है, ने कहा, ‘मुझे लगा कि मेरे पास इसे डिकोड करने के लिए आवश्यक कौशल हैं.’
हालांकि चैफिन परिवार ने संदेश को तकनीकी रूप से डिकोड कर लिया है, लेकिन इसके आंतरिक अर्थ को समझने में अभी भी कठिनाइयाँ हैं. परियोजना के डिजाइनरों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि संदेश में बायोलॉजिकल कनेक्शन है, लेकिन इसका गूढ़ अर्थ अब भी अनसुलझा है. संदेश पर चर्चा करने वाले नागरिक वैज्ञानिकों ने इसे डिस्कॉर्ड चैनल पर साझा किया है, लेकिन अभी तक इसके अर्थ पर फोकस नहीं किया गया है.
16 मिनट मे मंगल से धरती पर आया था सिग्नल
इस संदेश ने मंगल से पृथ्वी तक की यात्रा करते हुए लगभग 16 मिनट का समय लिया. इसे उत्तरी कैलिफ़ोर्निया के एलेन टेलिस्कोप एरे, वेस्ट वर्जीनिया के रॉबर्ट सी. बर्ड ग्रीन बैंक टेलिस्कोप और बोलोग्ना के मेडिसिना रेडियो एस्ट्रोनॉमिकल स्टेशन ने प्राप्त किया.
