दरअसल, वीरेंद्र सिंह पुत्र जीत सिंह और रघुवीर सिंह बुटोला पुत्र भगत सिंह दोनों शिक्षक अपनी बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी में नियुक्त हुए थे। शिक्षा विभाग और एसआईटी की जांच में पाया गया कि दोनों के नाम पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से कोई भी बीएड डिग्री जारी नहीं की गई थी। इसके बाद इन शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी ने सुनवाई के बाद दोनों को दोषी करार दिया और पांच-पांच वर्ष की कठोर सजा सुनाई और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना अदा न करने पर तीन महीने का अतिरिक्त जेल होगी। दोनों दोषी शिक्षक वीरेंद्र सिंह और रघुवीर सिंह बुटोला को न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार पुरसाड़ी (चमोली) भेज दिया गया है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चंद्र आर्य और विनीत उपाध्याय ने की।