
रुद्रपुर, उत्तराखंड | तिथि – 28 मई 2025


🔴 पंतनगर ,फिर सवालों के घेरे में तराई विकास निगम
उत्तराखंड का तराई विकास निगम (TDC) एक बार फिर चर्चाओं और विवादों के केंद्र में है। पंतनगर में चल रही टेंडर प्रक्रिया, एयरपोर्ट विस्तार परियोजना, बीज उत्पादन और भवन निर्माण जैसे मसलों पर पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों ने न केवल TDC की साख को झकझोरा है, बल्कि उत्तराखंड की नौकरशाही और राजनीति के गठजोड़ पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
🛠️ TDC का पक्ष: प्रेस वार्ता में पेश किए गए दस्तावेज़
TDC के अधिकारियों ने प्रेस वार्ता कर ठुकराल के आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य और टेंडर प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से की गई है। 3.809 करोड़ रुपये का आवासीय कॉलोनी टेंडर, 7.03 करोड़ का बीज भंडारण भवन और 4.72 करोड़ का मुख्यालय निर्माण — इन सभी में निर्धारित प्रक्रिया के तहत निविदाएं आमंत्रित की गईं और निर्माण कार्य जारी हैं।
TDC के महाप्रबंधक ने दस्तावेजों के हवाले से कहा कि जो भी टेंडर पारित हुए हैं, वे तकनीकी जांच और वित्तीय मूल्यांकन के बाद ही स्वीकृत हुए। इसमें किसी प्रकार की अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता।
🔍 ठुकराल का पक्ष: “टेंडर में घालमेल, जांच जरूरी”
पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने पलटवार करते हुए कहा कि TDC अधिकारियों की सफाई केवल लीपापोती है। उन्होंने कहाकि:“बनाने में करोड़ों लगे, टेंडर मात्र छह करोड़ के अंदर क्यों पास हुए? क्या पिछली परियोजनाएं और ऑडिट रिपोर्टें छिपाई जा रही हैं?”
ठुकराल ने पूरे मामले में RTI दाखिल करने की तैयारी कर ली है और वे इसे मुख्यमंत्री और सतर्कता विभाग तक ले जाने की बात कह चुके हैं।
📜 TDC का इतिहास: विवादों और आरोपों से पुराना नाता
पंतनगर स्थित तराई विकास निगम वर्षों से बीज उत्पादन और वितरण के क्षेत्र में अग्रणी संस्था रही है। लेकिन साथ ही, यह निगम राजनीतिक दखल, वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी चर्चा में रहा है। कई पूर्व अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे भी जा चुके हैं।
एक समय पर यह निगम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों में बीजों की गुणवत्ता का पर्याय था, परंतु अब इसके नाम के साथ ‘घोटाले’ शब्द आम होने लगा है।
क्या ठुकराल की आवाज दबाने की साज़िश?
राजकुमार ठुकराल न केवल पूर्व विधायक हैं, बल्कि वे अपने विवादित बयानों और ज़मीनी पकड़ के लिए भी जाने जाते हैं। यह भी संभव है कि TDC में की जा रही शिकायतें राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हों, या फिर ठुकराल को आगामी चुनाव से बाहर करने की रणनीति।वहीं दूसरी ओर, अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह केवल TDC ही नहीं बल्कि पूरी राज्य सरकार के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकता है।
🧾 RTI और न्यायिक दायरा: पारदर्शिता की अंतिम कसौटी
राजकुमार ठुकराल द्वारा दायर की जा रही सूचना का अधिकार (RTI) याचिका पूरे मामले में पारदर्शिता लाने की एक कोशिश है। RTI के ज़रिए यदि निर्माण कार्य, टेंडर प्रक्रिया, भुगतान विवरण, कार्यदायी एजेंसियों की सूची, और ऑडिट रिपोर्टें सार्वजनिक होती हैं, तो यह तय हो जाएगा कि दोष किसका है — TDC का या ठुकराल का।
📌 जनता की चिंता: करोड़ों जनता के, जवाबदेही किसकी?
जब सरकार की संस्था में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, तो उसका सीधा संबंध जनता के करदाताओं के धन से होता है। अगर ठुकराल के आरोप सही हैं, तो यह एक लोकधन की खुली लूट है। वहीं अगर TDC की बात सच है, तो यह राजनीतिक अफवाहों से विकास कार्यों को बाधित करने की साज़िश है।
🗳️ राजनीतिक असर: रुद्रपुर में चुनावी समीकरण बदल सकते हैं
यह मामला आगामी नगर निकाय और विधानसभा चुनावों पर असर डाल सकता है। अगर ठुकराल का मुद्दा जोर पकड़ता है, तो भाजपा को अंदरूनी नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, अगर आरोप झूठे साबित हुए तो ठुकराल की साख को गहरी चोट पहुंचेगी।
🧓 वरिष्ठ पत्रकारों की राय: प्रेस बनाम प्रशासन
वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि यह मामला “प्रेस वार्ता बनाम प्रेस वार्ता” बन गया है। एक ओर ठुकराल पत्रकाsरों के सामने आरोप लगा रहे हैं, तो दूसरी ओर TDC के अधिकारी प्रेसवार्ता कर सफाई दे रहे हैं। यह सार्वजनिक विमर्श का एक सकारात्मक पहलू भी है, बशर्ते दोनों पक्ष सत्य के प्रति जवाबदेह रहें।
🛑 यह केवल आरोप-प्रत्यारोप नहीं, व्यवस्था की परीक्षा है
तराई विकास निगम का यह मामला केवल एक पूर्व विधायक और एक निगम के बीच का टकराव नहीं है। यह उत्तराखंड की विकास योजनाओं की पारदर्शिता, संस्थाओं की जवाबदेही, और जनप्रतिनिधियों की गंभीरता की भी परीक्षा है।राज्य सरकार को चाहिए कि वह निष्पक्ष जांच कराए, RTI के जवाब सार्वजनिक करे, और यदि आवश्यक हो तो सीबीआई या न्यायिक जांच के आदेश दे।
