सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है पंचांग के अनुसार अभी कार्तिक माह चल रहा है और इस माह पड़ने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा है इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर स्नान दान व पूजा पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कार्तिक पूर्णिमा की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।

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कब मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 15 नवंबर को प्रात: काल 6 बजकर 19 मिनट से कार्तिक पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी की 16 नवंबर को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा। वही उदया तिथि के अनुसार 15 नवंबर को ही कार्तिक पूर्णिका का त्योहार मनाया जाएगा।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त-
आपको बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को प्रात: काल 4 बजकर 58 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा सत्यनारायण की पूजा का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को प्रात: काल 6 बजकर 44 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक है। देव दीपावली पूजा का मुहूर्त शाम को 5 बजकर 10 मिनट से लेकर रात 7 बजकर 47 मिनट तक है इसके अलावा लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त 15 नवंबर को रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 16 नवंबर को सुबह 12 बजकर 33 मिनट तक है। इसके अलावा चंद्रोदय का समय शाम को 4 बजकर 5 मिनट तक है।

कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा विशेष संयोग-
पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर चंद्रमा और मंगल एक दूसरे की राशि में विराजमान होंगे। इस दिन देर रात गजकेसरी राजयोग बन रहा है। इसके बाद दिन में बुधादित्य राजयोग का निर्माण हो रहा है। उसके बाद 30 साल बाद कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग भी बन रहा है। शनि 30 वर्षों के बाद कुंभ राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में कार्तिक माह की पूर्णिमा पर के दिन पूजा पाठ और दान पुण्य के कार्य करना शुभ माना जाता है इससे सौ गुना फल में वृद्धि होती है।

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