निदेशालय की जांच में नौकरी पाने वाले 4350 युवा अब संबंधित औद्योगिक इकाई (कंपनी) में नौकरी कर रहे हैं या नहीं, आदि पहलुओं को भी शामिल किया गया है। उन्हें तय मानदेय और भत्ते दिए जा रहे हैं या नहीं, इसकी भी जांच की जाएगी। सहायक निदेशक ममता चौहान नेगी ने बताया कि निदेशक की ओर से उन्हें जांच के आदेश मिल गए हैं। आचार संहिता वापस होने के बाद कंपनियों में जाकर जांच की जाएंगी।
इसलिए जांच की नौबत आई
दरअसल राज्य में बीते दो साल में 300 रोजगार मेले आयोजित हुए। 25 हजार से अधिक युवा इन मेलो में नौकरी के लिए पहुंचे। रोजगार मेलों में 106 बड़ी कंपनियों के अलावा छोटे उद्योगों ने भी भागीदारी की। चयनित 4350 युवाओं को उद्योगों सहित अन्य उपक्रमों में स्थाई और अस्थाई रोजगार मिला।
लेकिन सेवायोजन निदेशालय को शिकायतें मिल रही थीं कि जिन युवाओं को रोजगार मेले के जरिए नौकरी के लिए औद्योगिक इकाइयां चयनित कर ले जाती हैं, उनमें से कई को कुछ समय बाद नौकरी से निकाल देती हैं। इन दो वर्षों की अवधि में ऐसे करीब 20 से 25 मामलों की शिकायत मिलने की पुष्टि सेवायोजन निदेशालय ने की है।
बीते दो साल में रोजगार मेलों में जिन युवाओं को उद्योगों में नौकरी के लिए चयनित किया गया, वह अभी नौकरी कर रहे हैं या नहीं। कहीं उनको नौकरी से निकाला तो नहीं, इसकी जांच करने के आदेश सहायक निदेशक को दिए गए हैं।
संजय कुमार, सेवायोजन निदेशक, उत्तराखंड
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