
कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल ने बार-बार कहा है कि भगवंत मान सरकार पंजाब की कानून व्यवस्था को संभालने में पूरी तरह फेल है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
मार्च, 2022 में जब भगवंत मान ने पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी तब पंजाब को समझने वाले राजनीतिक विश्लेषकों ने कुछ संदेह जताया था। उन्हें संदेह इस बात का था कि क्या भगवंत मन जिनके पास कोई बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव नहीं है, वह पाकिस्तान से सटे पंजाब जैसे बेहद संवेदनशील राज्य की जिम्मेदारी निभा पायेंगे?
पंजाब में पिछले 5 महीनों में 13 धमाके हो चुके हैं। इन धमाकों के बाद यह सवाल मुंह के सामने खड़ा है कि क्या पंजाब की कानून व्यवस्था संभाल पाना आम आदमी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बस की बात नहीं है?
पाकिस्तान से लगती है लंबी सीमा
पंजाब की कानून व्यवस्था पर बात करने से पहले यह समझना जरूरी होगा कि पंजाब संवेदनशील राज्य क्यों है? पंजाब ऐसा राज्य है जिसकी 550 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगती है। पंजाब लंबे वक्त खालिस्तानी आतंकवादियों के निशाने पर रहा और इस दौरान हजारों निर्दोष लोगों की हत्याएं हुई। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर यह आरोप लगता है कि वह पंजाब के सिख नौजवानों को अलग खालिस्तान के नाम पर भड़काती है।
न सिर्फ आईएसआई बल्कि विदेश में बैठे कई कट्टरपंथी खालिस्तानी संगठन भी पंजाब का माहौल बिगाड़ने की लगातार कोशिश करते रहते हैं। ऐसे संगठनों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल, सिख फॉर जस्टिस जैसे कई संगठनों के नाम शामिल हैं। मंदिर पर हुए ताजा हमले के बाद अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर ने इसमें पाकिस्तान का हाथ होने की संभावना जताई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समय-समय पर ऐसी हरकतें करता रहता है।
दीवारों पर लिखे गए खालिस्तान जिंदाबाद के नारे
पिछले कुछ सालों में पंजाब में कई जगहों पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे हुए देखे गए हैं। इसके साथ ही ग्रेनेड हमले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एक के बाद एक हो रही हत्याएं और ग्रेनेड हमलों के बाद फिर से यह सवाल जिंदा हो रहा है कि क्या आतंकवाद का काला दौर देखने वाले पंजाब में वही मनहूस दिन फिर से लौट रहे हैं?
पंजाब में पिछले कुछ सालों में ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर 6 जून को गोल्डन टेंपल में खालिस्तान समर्थक खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा चुके हैं। उन्होंने खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर भी लहराए थे। इन हमलों की वजह से भगवंत मान सरकार पंजाब के विपक्षी दलों के निशाने पर है।
सीएम मान के सामने हैं कई सवाल
मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं कि बहुत सारी ताकतें ऐसी हैं जो पंजाब को फलने-फूलने नहीं देना चाहतीं, वे पंजाब को लगातार अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उनसे यह सवाल जरूर पूछा जाएगा कि आखिर वह पंजाब में हो रहे आतंकी हमलों, नशे के कारण हो रही मौतों को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं?
पिछले पांच महीनों में राज्य में न सिर्फ मंदिर बल्कि पुलिस थानों को भी निशाना बनाकर धमाके किए गए हैं और इनमें आरडीएक्स और ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया है। आइए, इन बम धमाकों के बारे में थोड़ा-बहुत बात करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 24 नवंबर, 2024 को अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर आरडीएक्स मिला था। हालांकि इसमें विस्फोट नहीं हुआ था। इसके तीन दिन बाद 27 नवंबर, 2024 को गुरबख्श नगर में पुलिस चौकी पर हमला हुआ। इस हमले में ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया। विस्फोट में पुलिस चौकी क्षतिग्रस्त हो गई और अच्छी बात यह थी कि उस वक्त चौकी के अंदर कोई नहीं था। तीसरा हमला 2 दिसंबर, 2024 को शहीद भगत सिंह नगर के काठगढ़ पुलिस स्टेशन पर हुआ। इस विस्फोट में ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया। पुलिस जांच में आतंकवादी लिंक होने की बात सामने आई और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आरोपियों से हथियार भी बरामद किये।
चौथा विस्फोट 4 दिसंबर, 2024 को मजीठा पुलिस स्टेशन में हुआ। यहां भी ग्रेनेड विस्फोट हुआ। हालांकि इस घटना को लेकर पुलिस ने दावा किया कि यह कोई हमला नहीं था बल्कि थाने में खड़ी एक पुलिसकर्मी की बाइक का टायर फट गया था। 13 दिसंबर, 2024 को अलीवाल बटाला थाने में धमाका हुआ। विस्फोट में ग्रेनेड का इस्तेमाल किया गया।
बब्बर खालसा इंटरनेशनल ने किए धमाके
17 दिसंबर को पंजाब के इस्लामाबाद पुलिस स्टेशन में विस्फोट हुआ। इसके ठीक दो दिन बाद 19 दिसंबर को गुरदासपुर जिले में आतंकवादी हमला हुआ। गुरदासपुर जिला भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। 21 दिसंबर को गुरदासपुर के कलानौर इलाके के बंगा वडाला गांव में पुलिस चौकी पर रात को धमाका हुआ था। बब्बर खालसा इंटरनेशनल ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
16 जनवरी, 2024 को पंजाब के अमृतसर जिले के जैंतीपुर गांव में शराब कारोबारी अमनदीप जैतपुरिया के घर पर ग्रेनेड हमला हुआ। यह हमला रात के वक्त हुआ। इसके बाद 19 जनवरी, 2025 को अमृतसर में गुमटाला चौकी परिसर में जोरदार धमाका हुआ। बब्बर खालसा इंटरनेशनल ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
3 फरवरी को अमृतसर एक बार फिर दहल उठा। आतंकवादियों ने शहर के फतेहगढ़ चूड़ियां रोड पर स्थित एक बंद पुलिस चौकी में बम विस्फोट किया। 14 फरवरी को गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक में एक पुलिसकर्मी के घर के बाहर धमाका हुआ।
अब ठीक एक महीने बाद 14 मार्च की रात को अमृतसर में एक मंदिर को निशाना बनाया गया है। यहां भी ग्रेनेड से हमला किया गया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को बिहार से गिरफ्तार किया है और कहा है कि इनके संबंध आतंकी संगठन बब्बर खालसा से हैं।
इन हमलों के अलावा पिछले कुछ महीनों में पंजाब पुलिस के मुख्यालय और लोकप्रिय पंजाबी गायक एपी ढिल्लों को धमकियां दी जा चुकी हैं।
भैयाजी जोशी के बयान को विपक्ष ने बनाया मुद्दा। (Source-PTI)
सिर उठा रहे खालिस्तान समर्थक
एक के बाद एक हुए हमलों के बाद सवाल यही खड़ा होता है कि क्या पंजाब में खालिस्तान समर्थक सिर उठा रहे हैं? क्या खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई या विदेश में बैठे कट्टरपंथी सिख संगठनों से बड़ी मदद मिल रही है? एनआईए ने कुछ महीने कहा था कि खालिस्तान टाइगर फोर्स और बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे कुख्यात आतंकवादी संगठन पंजाब के पुलिस स्टेशनों और अहम संस्थानों पर हमले की योजना बना रहे हैं और ऐसा ही हो रहा है।
सुखबीर बादल पर हमला, सिद्धू मूसेवाला की हत्या
पिछले साल दिसंबर में ही पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के परिसर में हमला हुआ था। यह एक बहुत बड़ी घटना थी क्योंकि स्वर्ण मंदिर जैसी सुरक्षित जगह पर सुखबीर बादल जैसे पंजाब के बड़े नेता पर हमला होने से पता चलता है कि राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी खराब है। इससे पहले साल 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो चुकी है। पंजाब में गैंगवार की घटनाएं बढ़ रही हैं, टारगेट किलिंग हो रही है। कुल मिलाकर इस सूबे में अराजकता का माहौल है।
पाकिस्तान से लगा हुआ सूबा होने की वजह से पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था न सिर्फ इस राज्य के लिए बल्कि देश भर के लिए बेहद अहम है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। यहां याद दिलाना होगा कि पिछले साल अगस्त में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मन को पत्र लिखकर कहा था कि अगर राज्य की कानून-व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो पंजाब के अंदर चल रहे सड़क संबंधी सरकारी प्रोजेक्ट्स को बंद कर दिया जाएगा।
यहां तक कि पंजाब के खुफिया विभाग के मुख्यालय पर भी हमला हो चुका है। इसके अलावा राज्य में नशे का कारोबार जारी है और इससे होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। भगवंत मान सरकार का कहना है कि वह आतंकियों और गैंगस्टरों के नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई कर रही है लेकिन जिस तरह की घटनाएं पंजाब में लगातार हो रही हैं, उसे देखते हुए यह सवाल पूरी ताकत के साथ पूछा जाना चाहिए कि क्या भगवंत मान सरकार इस संवेदनशील राज्य की शांति और स्थिरता को बरकरार रख पाएगी?
