
यूपी में ऊर्जा निगमों के निजीकरण से उत्तराखंड के बिजली कर्मचारियों में भी बेचैनी बढ़ गई है।


निजीकरण की इसी आहट के खिलाफ कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। प्रदेश स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। उत्तराखंड में भी पूर्व में बिजली के निजीकरण के प्रयास हो चुके हैं।
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
पूर्व में कई बार रुड़की, काशीपुर सर्किल को निजी हाथों में देने की प्लानिंग हुई है। इन दोनों सर्किलों से जुड़े क्षेत्र में ही सबसे अधिक बिजली चोरी की शिकायतें आती रही हैं। सबसे अधिक लाइन लॉस भी इन्हीं दोनों सर्किल से जुड़े क्षेत्रों में होता है। इसी के चलते हर बार इन्हीं दोनों सर्किल को निजी हाथों में देने की मांग उठती रही है। अब यूपी में एक साथ कई ऊर्जा निगमों को निजी हाथों में दिया जा रहा है। इसके खिलाफ उत्तराखंड में विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने साफ किया कि यदि निजीकरण समाप्त न किया गया, तो यूपी के बिजली कर्मचारियों को उत्तराखंड से भी पूरा समर्थन मिलेगा। उत्तराखंड में ऐसा कोई भी प्रयास किए जाने का विचार भी हुआ, तो बिना किसी पूर्व सूचना के कर्मचारी सड़कों पर उतर जाएंगे। सह संयोजक राहुल चानना ने निजीकरण को राज्य और आम जनता के लिए घातक बताया। कहा कि निजीकरण से कभी भी कोई लाभ नहीं हुआ है। उल्टा आम जनता को महंगी बिजली से जूझना पड़ता है। चेतावनी दी कि यदि निजीकरण जैसा कोई भी प्रयास हुआ, तो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
