उत्तराखंड में भी वक्फ संपत्तियों पर बढ़ती अनदेखी और अवैध कब्जे लोकसभा में बुधवार को वक्फ बिल पास होने के बाद यूपी की योगी सरकार एक्शन मोड में आ गई है। सरकार जिलावार वक्फ प्रॉपर्टीज का ब्योरा तैयार करवा रही है। बुलंदशहर की बात करें तो जिले की सभी 7 तहसील क्षेत्रों में 3464 वक्फ संपत्तियों को चिह्नित किया गया है।

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उत्तराखंड में भी वक्फ संपत्तियों पर बढ़ती अनदेखी और अवैध कब्जे

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर समेत कई जिलों में वक्फ संपत्तियों की अनदेखी और अवैध कब्जों की खबरों के बीच उत्तराखंड में भी यही हालात देखने को मिल रहे हैं। उत्तराखंड में हजारों एकड़ वक्फ संपत्ति मौजूद है, जिसकी कीमत अरबों रुपये में आंकी गई है। लेकिन इन संपत्तियों की देखरेख और सही प्रबंधन के अभाव में धीरे-धीरे इन पर अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं।

उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों की स्थिति

राज्य के देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं। मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, और अन्य धार्मिक स्थलों के रूप में दर्ज इन संपत्तियों का इस्तेमाल धर्मार्थ कार्यों के लिए होना चाहिए, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।

कस्टोडियंस की भूमिका पर सवाल

जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड में भी कई कस्टोडियंस वक्फ संपत्तियों से कमाई तो कर रहे हैं, लेकिन उनकी देखभाल में रुचि नहीं ले रहे। कई स्थानों पर वक्फ की संपत्तियों पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान या निजी निर्माण हो गए हैं। मस्जिदों और मदरसों की हालत खराब होती जा रही है, क्योंकि कस्टोडियंस रंगाई-पुताई तक नहीं कराते।

गांवों में वक्फ संपत्तियों पर बढ़ते अवैध कब्जे

देहरादून के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे बढ़े हैं। कई स्थानों पर कब्रिस्तानों की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है, तो कहीं खेती या व्यावसायिक निर्माण शुरू हो गया है।

वक्फ बोर्ड की निष्क्रियता

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों को बचाने और इनके बेहतर इस्तेमाल के लिए कोई ठोस कदम उठाने में विफल साबित हो रहा है। सरकार की ओर से भी इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिससे कस्टोडियंस की मनमानी बढ़ गई है।

क्या होना चाहिए समाधान?

  • वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाए और उनकी नियमित निगरानी की जाए।
  • अवैध कब्जे हटाने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
  • कस्टोडियंस के कार्यों की जांच हो और जो जिम्मेदारियां न निभा रहे हों, उन्हें हटाया जाए।
  • मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों के रखरखाव के लिए सरकार और समाज के सहयोग से ठोस योजना बने।

यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो उत्तराखंड की वक्फ संपत्तियां भी अवैध कब्जों और लापरवाही की भेंट चढ़ जाएंगी, जिससे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इसके बाद वक्फ संपत्तियों के कस्टोडियंस में बेचैनी है। बुलंदशहर में सबसे अधिक 1075 वक्फ संपत्तियां तहसील क्षेत्र में हैं। खुर्जा में 750, अनूपशहर में 578, सिकंदराबाद में 449, शिकारपुर में 236, डिबाई में 203 और स्याना तहसील क्षेत्र में 173 वक्फ प्रॉपर्टीज को चिह्नित किया गया है।

वक्फ संपत्तियों की कीमत अरबों रुपये आंकी गई है, जबकि वक्फ बोर्ड को इनसे इतनी कमाई नहीं हो रही है। वक्फ मामलों के जानकार बताते हैं कि वक्फ संपत्तियों की वजह से कस्टोडियंस ही बेशकीमती प्रॉपर्टी के मालिक बन चुके हैं। कस्टोडियंस वक्फ संपत्तियों से कमाई तो करते हैं, लेकिन इनकी देखरेख पर कोई खर्च नहीं करते। इसलिए जगह-जगह वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। हालात ये हैं कि अगर वक्फ की संपत्ति पर मस्जिद और मदरसा बना है तो कस्टोडियंस रंगाई-पुताई तक कराने की जहमत नहीं उठाते। गांवों-देहात में वक्फ संपत्तियों की अनदेखी की जा रही है।


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