इसी रकम की पहली किस्त लेते समय उसे रंगेहाथ पकड़ा गया।
किला थाने की मिर्धान गली निवासी हरीश अग्रवाल की तरफ से फर्जी कागजों के जरिये जमीन का इकरारनामा करने और फर्जी कागजों से खाता खोलने का आरोप लगाकर धोखाधड़ी की रिपोर्ट किला थाने में दर्ज कराई गई थी। मुकदमे की विवेचना प्रेमनगर थाने ट्रांसफर कर दी गई।
मुकदमे से उत्तराखंड के मूल निवासी व यहां दुर्गानगर में रह रहे उमेश उपाध्याय व क्यारा निवासी रेखा रानी के नाम निकालने के बदले प्रेमनगर थाने के दरोगा रामौतार ने पांच लाख रुपये मांगे थे। उमेश ने दरोगा से रिश्वत 10 किस्तों में लेने का निवेदन किया था। दरोगा इस पर तैयार हो गया था।
जमीनों की खरीद-फरोख्त के बहाने जालसाजी करने वाले कई गिरोह जिले में सक्रिय हैं। ऐसे ही एक गिरोह के चंगुल में फंसे पीड़ितों को जब दरोगा ने भी वसूली के लिए धमकाना शुरू किया तो उनका सब्र जवाब दे गया। विजिलेंस से मिलकर उन्होंने दरोगा को पकड़वा दिया।
मूल रूप से उत्तराखंड निवासी उमेश उपाध्याय कई साल से शहर के दुर्गानगर में रहते हैं। चौपुला के पास उनका व्हील एलॉयमेंट का काम है। नगर निगम इन दुकानों को खाली करा रहा है तो उमेश को अपना कारखाना जमाने के लिए जगह की तलाश थी। उमेश के मुताबिक, उन्होंने कुछ लोगों से इस बारे में जिक्र किया तो उन्हें दो बुजुर्ग मिले।
उन्होंने अपना नाम मिर्धान मोहल्ला निवासी हरीश व गिरीश अग्रवाल बताया। कहा कि उनकी जमीन झुमका तिराहे के पास है। जमीन ज्यादा होने पर उमेश ने अपनी परिचित क्यारा निवासी रेखा देवी को भी खरीदार के तौर पर शामिल कर लिया। कागज देखकर वह संतुष्ट हो गए तो आरोपियों ने सौ रुपये के स्टांप पर लिखवाकर चार लाख रुपये एडवांस ले लिए। इनसे मिलवाने वाले दलालों ने एक लाख रुपये और हड़प लिए।
असली हरीश मिले तो खुली पोल
उमेश के मुताबिक काफी समय तक इन लोगों ने मौके पर जाकर जमीन नहीं दिखाई बल्कि बैनामा कराने और बाकी रकम देने पर अड़े रहे। तब उन्हें शक हुआ तो जानकारी जुटाई। पता लगा कि असली हरीश अग्रवाल उर्फ हरि बाबू कोई और ही हैं जिनके भाई गिरीश का स्वर्गवास भी हो चुका है।
इधर, इन लोगों ने अर्बन बैंक में हरीश के नाम से जो खाता खुलवाया, उसकी पासबुक असली हरीश के पास पहुंचने से वह भी जानकारी जुटा रहे थे। उमेश और रेखा को ठगी का अहसास हुआ।
इधर, असली हरीश ने धोखाधड़ी की रिपोर्ट करा दी। मामला अज्ञात में दर्ज हुआ था। पहले विवेचना किला थाने के दरोगा ने की और बाद में यह प्रेमनगर में रामौतार के पास ट्रांसफर हो गई। तब इसमें उमेश व रेखा के नाम जोड़ दिए गए।
दरोगा बोला- ऊपर तक देना होगा हिस्सा
उमेश और रेखा देवी ने विवेचक दरोगा रामौतार से मिलकर खुद से हुई ठगी के सारे साक्ष्य सौंपे। बताया कि वह लोग तो पीड़ित हैं। ठगों की वीडियो भी दिखाई तो दरोगा ने भी माना कि वह लोग ठगों के चंगुल में फंस गए हैं पर ये भी कहा कि अगर आपके नाम निकालूंगा तो अफसरों को सेटिंग का शक होगा।
थानेदार से लेकर ऊपर के अफसरों तक को सैट करना होगा तो करीब पांच लाख रुपये खर्च होंगे। उमेश ने बताया कि वह लगातार ठगी और वसूली का शिकार होने से परेशान थे तो रेखा ने ही विजिलेंस से शिकायत की सलाह दी।