विधायकों का कैसा हो सम्मान, अफसरों को सिखाएं संस्थान…स्पीकर ने सीएस को किया तलब

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रीलायंस इंडस्ट्री के डायरेक्टर अनंत अंबानी ने 25 करोड़ की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहयोग के लिए अनंत अंबानी का आभार जताया। शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में रिलायंस इंडस्ट्रीज कंपनी लिमिटेड के कार्यपालक सहायक तनय द्विवेदी और मुख्यमंत्री के सलाहकार बीडी सिंह ने सीएम को सहायता राशि का चेक सौंपा।

विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पीठ से बार-बार निर्देश जारी होनै के बावजूद अधिकारी माननीयों को सम्मान नहीं दे रहे। ऐसे ही एक मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए स्पीकर ने न सिर्फ मुख्य सचिव को चैंबर में तलब कर लिया, बल्कि अफसरों को ट्रेनिंग देने वाले मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनए) सहित अन्य संस्थानों को पत्र लिखने की बात कही।

ताकि, वह अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में माननीयों के प्रोटोकॉल को शामिल करें। शुक्रवार को विधानसभा सत्र के दौरान चकराता से कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया। बताया, कैसे उन्होंने एक मामले में पीएमजीएसवाई के चीफ इंजीनियर को करीब 28 बार फोन मिलाया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

Hindustan Global Times, journalist from Uttarakhand

एक बार फोन उठाने पर उन्होंने मिलने का समय दिया, लेकिन वह मिले नहीं। इसके बाद भी उन्होंने मिलने के बजाय बार-बार गुमराह किया। प्रीतम ने कहा, इस सरकार में विधायकों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है।

प्रीतम की इस पीड़ा पर उन्हें सत्ता पक्ष के विधायक खजान दास का भी साथ मिला। उन्होंने संबंधित अफसर पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। इस पर स्पीकर ने कड़ी टिप्पणी करते हुए पूरे मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया।

पीठ से स्पीकर ने की कड़ी टिप्पणी

मामले में टिप्पणी देते हुए स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा, वह दूसरी बार सरकार को निर्देशित कर रहीं कि परंपराओं और नियमों को ताक पर नहीं रखा जा सकता है। विधायकों के प्रोटोकॉल को ताक पर नहीं रखा जा सकता है। शायद समय आ गया कि स्पीकर के माध्यम से मसूरी में स्थित एलबीएस एकेडमी को एक पत्र लिखना पड़ेगा, आप जो पढ़ाई कराते हैं, उसमें प्रोटोकॉल भी सिखाया जाए। कहा, दुख की बात है कि छह बार के विधायक के साथ इस तरह की बात हो रही है।

अफसर इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते हैं। यह बहुत दुखद है कि उत्तराखंड जैसे संस्कारों की धरती पर जहां देव बसते हैं, हम स्वयं क्या एक-दूसरे को सम्मान नहीं दे सकते हैं। फोन नहीं उठा सकते हैं। खड़े होकर किसी विधायक को सम्मान नहीं दे सकते हैं। यह उनका प्रोटोकॉल है। यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि मुझे सदन में यह बात कहनी पड़ रही है।


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