कहते हैं नाकिसी भी काम के लिए टाइमिंग बहुत जरूरी होती है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रिटायर्ड आईएएस अफसर देवेंद्र दुबे की पत्नी मोहिनी दुबे की जान लेने में कातिलों ने अगर किसी बात का सबसे ज्यादा ख्याल रखा, तो वो यही बात थी.

Spread the love

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /प्रिंटिंग मीडिया शैल ग्लोबल टाइम्स /संपादक अवतार सिंह बिष्ट , रूद्रपुर, उत्तराखंड

क़ातिलों ने अपने काम के लिए सुबह के उस वक्त को चुना, जब घर में मोहिनी के अलावा दूसरा कोई नहीं था. लेकिन लाख चालाकी दिखाने और घर से सीसीटीवी का डीवीआर तक उठा कर ले जाने के बावजूद आखिरकार टाइमिंग ने ही कातिलों का भांडा फोड़ दिया.

आखिर कौन थे ये क़ातिल? क्यों ली उन्होंने देवेंद्र दुबे की पत्नी मोहिनी की जान? क्या ये दुश्मनी का नतीजा था? कोई पारिवारिक रंजिश या फिर लूटपाट? तफ्तीश हुई, तो सारी सच्चाई खुलती चली गई. एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जिसे सुनकर किसी को भी यकीन नहीं हो पा रहा था.

25 मई सुबह 8.45 बजे इंदिरा नगर, लखनऊ

रोज़ की तरह इस दिन भी रिटायर्ड आईएएस अफसर देवेंद्र दुबे गोल्फ़ खेल कर अपने घर लौटे थे. लेकिन घर पहुंचते ही उन्हें पहला झटका तब लगा, जब उन्होंने देखा कि घर का मेन दरवाज़ा खुला हुआ है. आम तौर पर उनकी पत्नी मोहिनी दुबे हमेशा घर का दरवाजा अंदर से बंद रखती थी. लेकिन उलझन में पड़े दुबे जैसे ही अंदर गए घर का मंज़र देख कर उनकी हालत खराब हो गई. घर का सारा सामान बिखरा पड़ा था और अंदर किचन के पास उनकी बीवी मोहिनी की लाश पड़ी थी. क़ातिलों ने उनको उन्हीं दुपट्टे से फंदा कस कर मार डाला था.

चूंकि घर का सारा सामान बिखरा हुआ था, तो ये शक हो रहा था कि इस क़त्ल के पीछे लूटपाट की वजह हो सकती है. मोहिनी उनकी दूसरी बीवी थी. पहली बीवी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि पहली से उन्हें दो बेटे हैं, जो अलग रहते हैं. देवेंद्र दुबे ने पुलिस को फोन कर पूरे मामले की जानकारी दी. उन्होंने अलग रहने वाले अपने दोनों बेटों और दूसरे नाते रिश्तेदारों को भी फोन किया. इस वारदात के बारे में बताया. आनन-फानन में लखनऊ पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की गई.

यूपी पुलिस को ये देख कर थोड़ा अजीब लगा कि लुटेरों ने घर में रखे कीमती चीज़ों को लूटा और इसके लिए ज्वेलरी बॉक्स से लेकर लॉकर तक सबकुछ तोड़ डाला, लेकिन मोहिनी दुबे के शरीर पर मौजूद करीब दो लाख रुपए के सोने के गहनों को छुआ तक नहीं, जबकि आम तौर पर लुटेरे ऐसी किसी भी वारदात में ज्यादा से ज्यादा माल बटोरने की कोशिश करते हैं. हालांकि जिस तरह से घर का दरवाजा खुला हुआ था और वहां की फोर्स्ड एंट्री के सबूत नहीं थे, यानी घर में दाखिल होने में लुटेरों को कोई जोर जबरदस्ती नहीं करनी पड़ी.

उसे देख कर लगता था कि शायद क़ातिल दुबे परिवार का ही कोई करीबी हो सकता है. चूंकि लुटेरे घर के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों के डीवीआर अपने साथ उठा कर ले गए थे, तो अंदर का तो कोई सीसीटीवी फुटेज पुलिस के हाथ नहीं लगा, लेकिन बाहर लगे कैमरे की फुटेज से तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई. एक गौर करने वाली बात ये भी थी कि मकान के अंदर लगे कैमरे का डीवीआर उनके मास्टर बेडरूम में नहीं बल्कि एक दूसरे कमरे में लगा हुआ था, इसके बावजूद उस डीवीआर को ढूंढ कर उसे ले जाना भी इस बात की तरफ इशारा कर रहा था, कत्ल में परिवार के किसी करीबी का हाथ हो सकता है.

25 मई सुबह 7.13 बजे इंदिरा नगर, लखनऊ

बाहर के सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि लुटेरे सुबह ठीक 7 बजकर 13 मिनट पर घर के अंदर दाखिल हुए. 7.46 में घर से निकल गए. छानबीन के दौरान पता चला कि रिटायर्ड आईएएस देवेंद्र दुबे तकरीबन रोज़ ही सुबह 7 बजे गोल्फ खेलने के लिए घर से निकल जाते थे और 9.30 बजे तक वापस लौट आते थे. इसके बाद दूधवाला सलमान आता था, जो दूध देकर जाता था. वारदात के रोज़ भी दूधवाला आया और दूध देकर 7 बज कर 10 मिनट तक वहां से चला गया. रोज 8 बजे उनकी एक मेड घर में काम करने आती थी, लेकिन इत्तेफाक से 25 मई को उसने छुट्टी ले रखी थी.

ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी 7.15 बजे से पौने आठ के टाइम फ्रेम के दौरान क़ातिलों ने घर पर धावा बोला, मोहिनी की जान ली, लूटपाट की और फरार हो गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने गौर किया कि मोहिनी के शरीर को कातिलों ने पानी से पोंछ दिया था, ताकि उनके फिंगर प्रिंट रिवकर ना हो सके. क़ातिलों ने पकड़े जाने से बचने के लिए ना सिर्फ घर में घुसते हुए हेलमेट लगा कर रखी थी, बल्कि वारदात के वक्त किसी मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल नहीं किया. लेकिन जिस नीले रंग की स्कूटी पर सवार होकर दो कातिल इस वारदात को अंजाम देने पहुंचे, वो एक बड़ा सुराग़ साबित हुआ.

नीले रंग के इस स्कूटी में नंबर प्लेट तो था, लेकिन नंबर नहीं था. अब पुलिस ने इस स्कूटी को ट्रैक करना शुरू किया. शहर में लगे कम से कम 350 सौ सीसीटीवी कैमरों के सहारे स्कूटी का पीछा करते रहे. पुलिस ने गौर किया कि लुटेरों ने पुलिस को धोखा देने के लिए बीच रास्ते में ही कपड़े भी बदले, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने गौर किया वारदात को अंजाम देने वाले क़ातिल कैंट के नीलमथा एरिया की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. चूंकि इस मामले में पुलिस को घर के करीबियों पर ही शक था, पुलिस ने घर में काम करने वाले दो ड्राइवरों रवि और अखिलेश पर ही शक करना शुरू किया.

रवि तो खैर खुद ही रिटायर्ड आईएएस देवेंद्र दुबे को अपने साथ गोल्फ कोर्स लेकर गया था, लेकिन दूसरा ड्राइवर अखिलेश मौके पर नहीं था. ऐसे में पुलिस ने उसके बारे में जानकारी जुटाने की शुरुआत की. पता चला कि अखिलेश उसी नीलमथा एरिया की तरफ ही रहता है, जिधर इस वारदात को अंजाम देने के बाद क़ातिल नीले रंग की स्कूटी से गए थे. ऐसे में अखिलेश पर पुलिस का शक गहरा गया. आखिरकार जब रवि और अखिलेश से पूछताछ शुरू हुई, तो सच्चाई सामने आ गई. इस वारदात को लूटपाट के इरादे से रवि और अखिलेश ने अपने तीसरे साथी रंजीत के साथ मिलकर अंजाम दिया था.

25 मई सुबह 7.46 बजे इंदिरा नगर, लखनऊ

वो अखिलेश जो 13 सालों से दुबे परिवार के पास काम कर रहा था. उसने इस कत्ल को अंजाम देने के बाद फिर से बेगुनाह बनने का नाटक करते हुए मौका ए वारदात यानी देवेंद्र दुबे के घर पहुंचा और खुद अपने हाथों से मोहिनी की लाश भी उठाई. वारदात वाले रोज़ अखिलेश सुबह अपने साथी रंजित को लेकर दुबे के घर पहुंचा और दोनों ने मिलकर पहले मोहिनी की गला घोंट कर हत्या कर दी और फिर करीब 50 लाख रुपए की ज्वेलरी लूट कर फरार हो गए.

लेकिन जिस तरह से कातिलों ने सुबह का खाली समय चुना, जिस तरह से डीवीआर उठा कर ले गए, जिस तरह से लूटपाट के बाद वो नीलमथा की तरफ भागे, जिस तरह से उन्हें घर में आसानी से एंट्री मिली और जिस तरह से उन्होंने दूसरे सबूत मिटाने की कोशिश की, उन बातों ने शक करीबी क़ातिलों यानी दोनों ड्राइवरों के ऊपर गहरा दिया. आखिरकार पुलिस ने एक एनकाउंटर के बाद जहां तीनों कातिलों को पकड़ लिया. वहीं उनके पास से नीले रंग के बैग में लूटे गए 50 लाख के जेवर भी बरामद कर लिए. पुलिस को सीसीटीवी फुटेज में ये नीले रंग का बैग भी कातिलों के साथ लगातार नजर आ रहा था.


Spread the love