न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शनिवार को बीएड की फर्जी डिग्री पर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में नौकरी कर रहे दो शिक्षकों को 5-5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।अभियोजन अधिकारी के अनुसार जनपद रुद्रप्रयाग निवासी और जिले में तैनात भवानी लाल पुत्र शेरी लाल एवं गुलाब सिंह पुत्र शिवराज सिंह की बीएड की फर्जी डिग्री जांच में फर्जी पाई गई थी।

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संपादकीय लेख के साथ पूरी खबर,उत्तराखंड शिक्षा विभाग में फर्जी डिग्री का खेल: दोषी शिक्षकों को सजा, पर असली गुनहगार कौन?

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

रुद्रप्रयाग जिले में बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे दो शिक्षकों को शनिवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोषी करार देते हुए 5-5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?

अभियोजन अधिकारी के अनुसार, रुद्रप्रयाग निवासी भवानी लाल पुत्र शेरी लाल एवं गुलाब सिंह पुत्र शिवराज सिंह की बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई थी। जब यह मामला सामने आया, तो दोनों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने दोनों शिक्षकों को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई। जुर्माना न भरने पर तीन महीने की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी।

पर असली गुनहगार कौन?

यह मामला सिर्फ दो शिक्षकों तक सीमित नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि जब ये फर्जी डिग्रीधारी सरकारी स्कूलों में नौकरी कर रहे थे, तब उनकी नियुक्ति के समय कौन सी सरकार थी? क्या इसकी जिम्मेदारी केवल इन शिक्षकों की थी, या फिर कोई बड़ा खेल चल रहा था?

सरकारी नौकरियों में फर्जी डिग्रीधारियों की एंट्री केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं है। यह खेल नौकरशाहों और नेताओं की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता। सवाल उठता है कि:

  • नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी किसने की?
  • कौन से अधिकारी और राजनेता इस खेल में शामिल थे?
  • और कितने फर्जी डिग्रीधारी अब भी सरकारी नौकरी में हैं?

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

यह मामला उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या सरकार अब इस मुद्दे पर सख्त जांच बिठाएगी? क्या सभी नियुक्तियों की दोबारा जांच होगी? या फिर यह मामला भी कुछ दिनों की चर्चा के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। वरना ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति होती रहेगी और शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार के दलदल में धंसता जाएगा।

इस पर दोनों को बर्खास्त करने के बाद मुकदमा दर्ज किया गया था। शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने दोनों अभियुक्तों को सजा सुनाई। साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना नहीं देने पर तीन माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। दोनों को जिला कारागार पुरसाड़ी चमोली भेज दिया गया है।


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