उत्तराखंड का प्रवेश द्वार — रुद्रपुर। जहां विकास के वादे रोज जन्म लेते हैं और झूठे सपनों की मौत भी उतनी ही तेज होती है। इसी रुद्रपुर के दिल में कभी शुद्ध जल की कल-कल करती कल्याणी नदी बहा करती थी। आज वह नदी नहीं, कूड़े का नाला है — और यह हालात किसी प्राकृतिक आपदा से नहीं, बल्कि निरंतर की गई सरकारी और राजनीतिक उपेक्षा का परिणाम हैं।
कल्याणी नदी: इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
कल्याणी नदी कभी रुद्रपुर की जीवनरेखा थी। यह न सिर्फ जल संसाधन थी, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण थी। इसके किनारे होने वाले स्नान, उत्सव और धार्मिक आयोजन रुद्रपुर की पहचान थे। परंतु अब, यह नदी अपनी पहचान ही खो चुकी है।


उत्तराखंड राज्य बनने के बाद का राजनीतिक पाखंड
सन् 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ और साथ ही शुरू हुआ कल्याणी नदी के नाम पर राजनीतिक नौटंकी का दौर। कई नेता इस नदी के पुनर्जीवन के नाम पर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए — कोई नगर निगम का अध्यक्ष बना, कोई विधायक, कोई सांसद, और कुछ तो महापौर की कुर्सी तक पहुंच गए। परंतु नदी वहीं की वहीं, बल्कि और भी बदतर होती गई।
महापौर विकास शर्मा और ढोल-नगाड़े वाली घोषणाएं
2023 में रुद्रपुर के वर्तमान महापौर विकास शर्मा ने चुनाव प्रचार में कल्याणी नदी को पूरी तरह “कवर्ड नाला” बनाने का वादा किया। उन्होंने बड़े-बड़े मंचों से कहा कि नदी की दुर्गति रोकी जाएगी, शहरवासियों को स्वच्छ पर्यावरण मिलेगा। लेकिन हालात जस के तस हैं — न नाला ढंका, न गंदगी हटी, न कोई काम शुरू।
नगर निगम: केवल बैठकों की खानापूरी
रुद्रपुर नगर निगम की बैठकों में हर तीसरे महीने कल्याणी नदी का मुद्दा उठता है — फाइलें इधर-उधर घुमाई जाती हैं, टेंडर की बातें होती हैं, और फिर सब चुपचाप हो जाता है। क्या नगर निगम सिर्फ प्रस्ताव पास करने के लिए है? क्या जमीनी कार्रवाई अब कागज़ पर ही होगी?
जिला प्रशासन की चुप्पी: ‘बड़े बाबुओं’ की अदृश्य मंजूरी
जिला प्रशासन का रुख इस मुद्दे पर अत्यंत ढीला रहा है। एसडीएम, डीएम, पर्यावरण विभाग — सबके पास समय है समारोहों में रिबन काटने का, परंतु कल्याणी नदी जैसे मुद्दों पर सब मौनव्रत धारण कर लेते हैं। क्या उन्हें शहर की दुर्गंध नहीं सताती?
जनप्रतिनिधियों की भूमिका: वादे, फोटो और भूल जाना
कल्याणी नदी के नाम पर स्थानीय विधायकों और सांसदों ने न जाने कितने प्रेस नोट जारी किए, कितने शिलान्यास किए,
कल्याणी नदी रुद्रपुर, उत्तराखंड की एक प्राचीन और धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नदी है, जो कभी इस क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाती थी। यह नदी रुद्रपुर से होकर गुजरती थी और किसानों के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत रही है। वर्षों पहले इसकी निर्मल धारा और किनारों पर हरियाली देखने योग्य थी। लेकिन आज यह नदी अतिक्रमण, गंदे नालों और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण मृतप्राय हो चुकी है। संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए स्थानीय जनसंगठनों द्वारा समय-समय पर आवाज उठाई जाती रही है।

