(चिन्हितकरण के दोहरे मापदंड)
उत्तराखंड में प्रत्येक भिन्न-भिन्न सरकारों के द्वारा समय-समय पर चिन्हित कारण की मानक भिन्न-भिन्न तरह से बदल दिए गए ।.जो पूरी तरह से राजनीतिक प्रेरित लगते हैं। वास्तविक राज्य आंदोलनकारी जिन्होंने एक लंबा संघर्ष उत्तराखंड राज्य के लिए किया आज भी अपनी स्थिति पर चिन्हित करण नहीं होने पर सरकार के द्वारा समय पर बदलते नियमों के खिलाफ आक्रोशित हैं,. खटीमा क्षेत्र में एक ही तहसील में अलग-अलग तरह से अलग-अलग मानको के अनुरूप लोगों का चिन्हित करण किया गया। जो चिन्हित नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा । लेकिन आज भी चिन्हित करण की आस में शीर्ष नौकर साहो एवं सत्ता के शिखर पर बैठे राजनेताओं से अपनी गुहार लगा चुके हैं । हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में खटीमा के राज्य आंदोलनकारी ने लिखित रूप से जो अभिलेख उन्होंने शासन प्रशासन को प्रेषित किया हम संलग्न कर रहे हैं हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम अवतार सिंह बिष्ट उत्तराखंड
कुछ राज्य आंदोलनकारी ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि चिन्हित करण नहीं होने पर जनहित याचिका डालने की भी तैयारी की जा सकती है ।जनहित याचका डालने पर चिन्हित हो चुके राज्य आंदोलनकारीयो पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा।