मामला हल्द्वानी के लालकुआं डिपो संख्या चार और पांच में लाखों रुपये की गड़बड़ी का है। शुरूआत में डिपो संख्या पांच में शिकायत मिली थी कि यहां से जितने की लकड़ी नीलाम की जा रही है, बिल उससे कम का बनाया जा रहा है। इस पर आरएम-कुमाऊं एवं प्रभारी जीएम महेश चंद्र आर्य ने मामले की जांच शुरू की। पता चला कि कुछ अफसर व कर्मचारी मिलीभगत कर नीलामी की रकम से कम के बिल बना रहे हैं। कुछ बिलों में पांच लाख की नीलामी को तीन लाख रुपये दर्ज किया गया। इसके बाद कई और बिलों की जांच में भी हेराफेरी सामने आई।
इसके तत्काल बाद इस मामले में तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया, जबकि दो आउटसोर्स के कर्मचारियों को हटा दिया गया। इसके साथ पुलिस में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। मामले में कुछ 22 ठेकेदारों का नाम सामने आए थे, लेकिन छह ठेकेदारों ने अपने बिल प्रस्तुत कर दिए, जबकि 16 ठेकेदारों ने नोटिस का कोई जवाब तक नहीं दिया। वहीं डिपो संख्या चार में भी इस तरह की गड़बड़ी की शिकायत मिली है, इस पर संबंधित डिपो की भी जांच की जा रही है।
Hindustan Global times Avtar Singh Bisht
बीते दिनों वन विकास निगम से जुड़े कर्मचारी संगठनों ने समीक्षा बैठक में वन मंत्री के सम्मुख यह मामला उठाया तो उन्होंने पुलिस एसआईटी जांच कराए जाने के निर्देश दिए थे। अब वन निगम के प्रबंध निदेशक एसएस सुबुद्धि की ओर से प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर एसआईटी जांच कराए जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है। विभागीय सूत्रों की मानें तो यह खेल राज्य के अन्य डिपो में भी चल रहा है। अगर सभी जगह जांच हो तो बिलों में हेराफेरी का यह मामला करोड़ों तक पहुंच सकता है।
संदिग्ध अधिकारी-कर्मचारियों को हटाए सरकार
लालकुआं डिपो में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद भी पुराने स्टाफ के वहां तैनात रहने पर वन विकास कर्मचारी संगठनों ने एतराज जताया है। इस संबंध में कर्मचारी संघ, कर्मचारी संगठन उत्तराखंड वन विकास निगम ने एमडी को पत्र लिखकर संदिग्ध कर्मचारी-अधिकारियों को वहां से हटाने की मांग की है।
लालकुआं डिपो में लकड़ी की नीलामी के बिलों में हेराफेरी पकड़ में आई है। लकड़ी ज्यादा की बिकी, लेकिन बिल में रकम कम दिखाई गई। इस संबंध में विभागीय जांच के साथ पुलिस एसआईटी जांच के निर्देश दिए गए हैं। एसआईटी जांच में दूसरे डिपो की भी जांच कराई जाएगी। सरकारी धन का गबन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
– सुबोध उनियाल, वन मंत्री