
सिनेमा जगत के वरिष्ठ हास्य कलाकार घनानंद जी को शैल सांस्कृतिक समिति रुद्रपुर।


हिमाद्री जन सेवा समिति ने अपना शोक व्यक्त किया है ।अपने संयुक्त बयान में उन्होंने कहा!घनानंद जी उनका यूं असमय जाना कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी हास्य कला, सहजता और उत्तराखंडी संस्कृति के प्रति समर्पण हमेशा याद रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति मिले और परिवार व प्रशंसकों को यह दुख सहने की शक्ति दें। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!
उनके निधन की खबर से पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है.
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
घन्ना भाई को गंभीर स्वास्थ्य समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह पहले से हृदय संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे और कुछ साल पहले पेसमेकर भी लगाया गया था. हाल ही में उन्हें यूरिन में ब्लड आने की समस्या हुई, जिसके बाद सामान्य जांच के लिए वह अस्पताल पहुंचे थे.
घन्ना भाई हृदय संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे
आवाज सुनो पहाड़ों की कार्यक्रम के संरक्षक बलबीर सिंह पंवार और संयोजक नरेंद्र रौथाण ने बताया कि ब्लड चढ़ाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 11 फरवरी 2025 को उन्होंने अंतिम सांस ली.
घन्ना भाई गढ़वाली सिनेमा और संगीत जगत का एक जाना-पहचाना नाम थे. उन्होंने कई गढ़वाली फिल्मों और म्यूजिक एल्बमों में काम किया था. उनके हास्य अभिनय को दर्शकों ने खूब पसंद किया और वह उत्तराखंड के हर घर में पहचाने जाने लगे थे. उनका जाना उत्तराखंड के लोक कलाकारों और प्रशंसकों के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके निधन पर उत्तराखंड के कलाकारों और साहित्यकारों ने शोक व्यक्त किया है.
2012 में भाजपा ने पौड़ी से दी थी टिकट
हास्य अभिनय के साथ-साथ घन्ना भाई ने राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई थी. 2012 में भाजपा के टिकट पर पौड़ी से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 2022 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी की थी. हालांकि, वह राजनीति में उतनी सफलता नहीं पा सके, लेकिन उन्होंने अपनी लोकप्रियता बनाए रखी और जनता से जुड़े रहे.
घन्ना भाई के निधन की खबर फैलते ही पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई. सोशल मीडिया पर उनके चाहने वाले भावुक पोस्ट शेयर कर रहे हैं और उनके योगदान को याद कर रहे हैं. गढ़वाली लोक कलाकार प्रेम पंचोली ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “हमने उत्तराखंड के लोक संगीत और फिल्म जगत का एक अनमोल सितारा खो दिया. घन्ना भाई हमेशा अपनी कॉमेडी और सहज अभिनय के लिए याद किए जाएंगे.”
सीएम धामी ने निधन पर जताया दुख
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनके निधन पर दुख जताया और कहा, “उत्तराखंड की संस्कृति और लोक कला को समृद्ध करने में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा.” घन्ना भाई अपने अभिनय से लोगों को हंसाने का हुनर रखते थे. उनके चुटीले संवाद और गढ़वाली भाषा में हास्य शैली लोगों के दिलों में हमेशा बसी रहेगी. उनके जाने से उत्तराखंड की सांस्कृतिक दुनिया में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है, जिसे भरना आसान नहीं होगा.
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद एवं उत्तराखंड के समस्त राज्य आंदोलनकारीयो ने घनानंदगढ़वाली हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई का निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनकी यादें हमेशा हमें अपनी संस्कृति को जीवंत रखने में योगदान देती रहेंगे।
मुख्यमन्त्री पुष्कर धामी अपने संवेदनशील फैसलों से न जाने कितनी बार जनता का दिल जीतेंगे। वह समाज के हर वर्ग को लेकर सहृदयी हैं, भावुक भी हैं। प्रदेश के विख्यात हास्य कलाकार घनानंद ‘घन्ना भाई’ के निधन का समाचार मिलने के बाद वह उनके आवास पर पहुंचे थे ।जहां से उन्होंने हरिद्वार के DM को निर्देश दिए कि घन्ना भाई का अन्तिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाये। उनका यह फैसला लोक कलाकारों के प्रति उनकी सहृदयता और सम्मान को दर्शाता है। संभवतया यह पहला मौका होगा जब उत्तराखंड के किसी लोक कलाकार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
1953 में पौड़ी गढ़वाल के गगोड़ गांव में जन्मे घनानंद की शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन में हुई। उनका सफर 1970 में रामलीला नाटक से शुरू हुआ। अपने अनोखे हास्य अंदाज के कारण जल्द ही वह लोगों के दिलों में जगह बनाने लगे। 1974 में उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनकी संवाद शैली और व्यंग्य भरी कॉमेडी उन्हें आम जनता से जोड़ती रही।
हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके तीनों बेटाें ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और विधायक मदन कौशिक मौजूद रहे।
घन्ना भाई घनानंद को आज हरिद्वार में नम आंखों से लोगों ने अंतिम विदाई दी। उनकी आखिरी यात्रा उनके देहरादून स्थित आवास से चली। जहां कई लोगों ने उनके अंतिम दर्शन के बाद आखिरी यात्रा के लिए विदा किया। वहीं, हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके तीनों बेटे बड़ा निशांत, मझला प्रशांत और छोटा सुशांत ने उन्हें मुखाग्नि दी।
इससे पहले हरिद्वार से भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरिद्वार नगर से भाजपा विधायक मदन कौशिक समेत राजनीतिक दलों के नेता और शासन, प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
जैसे ही घन्ना भाई का शव हरिद्वार लाया गया तो सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके बड़े बेटे निशांत को ढांढस बंधाया। लेकिन निशांत खुद को भावुक होने से रोक नहीं पाए। त्रिवेंद्र ने भी उन्हें ढांढस बंधाया। वहीं त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि घनानंद घन्ना भाई का जाना उत्तराखंड के लिए बड़ी क्षति है। उनकी भरपाई किसी भी तरह नहीं हो सकती है।
बता दें कि 11 फरवरी को घनानंद गगोडिया उर्फ घन्ना भाई ने देहरादून के महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। डॉक्टरों के मुताबिक, हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ। अस्पताल के डॉक्टरों की तरफ से उन्हें सीपीआर देने की कोशिश की गई। लेकिन वो रिवाइव नहीं कर पाए। उन्होंने 72 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। बीते दिनों तबीयत खराब होने पर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। जहां वे कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे।
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