अशोक नगर देवभूमि रामलीला में लक्ष्मण मेघनाथ के शक्ति बाण से हुए मूर्छित। कुंभकरण का हुआ बध। रुड़की दिनांक 13.10.2024 देवभूमि श्री राम धार्मिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट रजिस्टर्ड के तत्वाधान में आयोजित प्रभु श्री रामलीला सजीव अभिनय दर्शन की 11 दिन का लीला का उद्घाटन चार बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन तथा तदुपरांत विशिष्ट अतिथि जगदंबे कीर्ति मंडल अशोक नगर व शेखर पुंडीर भाजपा ने फीता काट कर किया।

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लीला के 11वें दिन की लीला में, राम की सेना की तरफ से लक्ष्मण सेनापति के रूप में सेना का संचालन करते हैं तथा मेघनाथ रावण की सेना की तरफ से।
दोनों में घमासान युद्ध होता है।
लेकिन मेघनाथ शक्तिबाण का प्रयोग करते हुए, लक्ष्मण को मूर्छित कर देते हैं, यह समाचार पाकर राम बड़े व्यथित हो जाते हैं, और स्वयं को कोसने लगते हैं।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह
उनकी इस व्यथा को देखकर सुग्रीव और जामवंत प्रभु राम से कहते हैं की लंका में सुसैन नामक एक बैध है। जो संभवतः लक्ष्मण की जान बचा सकते है।
राम, हनुमान जी को सुसैन वैद्य को लाने के लिए लंका भेजते हैं। सुसैन बैध बताते है कि लक्ष्मण के प्राण केवल संजीवनी बूटी से बचाए जा सकते हैं जो कि द्रोणागिरी पर्वत पर मिलती है और अगर प्रातः काल होने से पहले वह बूटी यहां पहुंच जाए तो लक्ष्मण को बचाया जा सकता है।
पुनः राम हनुमान को संजीवनी लेने द्रोणागिरी पर्वत भेजते हैं। हनुमान की समझ में नहीं आता है कि संजीवनी का कौन सा भाग ले जाया जाए। इसलिए हुए पर्वत खंड को उठाकर ले आते हैं। अयोध्या में ऊपर से आते हुए भरत जब देखते हैं की कोई वानर पर्वत को उठाकर ले जा रहा है तो उसे अपने बाण से नीचे उतार देते हैं। उन्हें जब इस बात का पता चलता है कि यह राम भक्त है और लक्ष्मण की शक्ति के लिए संजीवनी ले जा रहे हैं तो वह हनुमान से कहते हैं कि मैं तेज वेग वाले बाण से तुम्हें युद्ध स्थल भेज सकता हूं । हनुमान कहते हैं मैं स्वयं पवन पुत्र परंतु तुम लंका का एक द्वारा तोड़ दो। भरत ऐसा ही करते हैं
इस प्रकार संजीवनी आने पर लक्ष्मण के प्राण बच जाते हैं।
रावण अपने भाई कुंभकरण को जो की 6 मास की निद्रा में है, जगाने हेतु अपनी सेना से कहता है और स्वयं भी उन्हें उठाने का प्रयास करता है, रावण, कुंभकरण को सारी बातें बताते हैं, और युद्ध के लिए भेजते हैं जहां वह राम के हाथों मारे जाते हैं और इसके साथ 11 दिन की लीला का पटाक्षेप से हो जाता है। इस अवसर पर राजेंद्र सिंह रावत, अर्जुन सिंह तड़ियाल, जगदीश नेगी, दिगम्बर सिंह नेगी, बलवीर सिंह रावत कुंवर सिंह चौधरी, सतीश नेगी, हेमंत बड़थ्वाल, चंद्र मोहन कुलाश्री, विक्रम कुलाश्री, राजेंद्र सिंह रावत, सुदर्शन डोबरियाल, सुरेंद्र सिंह बिष्ट, विनोद जखवाल, प्रदीप बुडाकोटि, गोपाल दत्त मैंदोला, मातबर सिंह नेगी, त्रिलोक सिंह रावत, आनंद सिंह रावत, मुकेश बिष्ट, सुशील कुलाश्री, पवित्री देवी, रिया बिष्ट, बादल लाखेड़ा, अरनब डोबरियाल, सौरव, आयुष , बादल, दिव्यांशु, हितेश नेगी, रोहन नेगी ,ऋतिक, हरदीप नमित रावत, अनूप, खुशी राणा, रांची भंडारी, लकी, रजनी कुलाक्षी, सरोज बड़थ्वाल, हीरा बिष्ट, देवंती भट्ट ,उमा नेगी, किरण नेगी,अनीता नेगी, सुनीता कुमाई, रितु लखेड़ा, केशव पोखरिया, मनीषा सृष्टि गीता बिष्ट शोभा खंतवाल, आशा देवी, बलवंत सिंह रावत, पंडित कैलाश कुखशाहल, राजेंद्र प्रसाद खंकरियाल आदि राम भक्त उपस्थित थे


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