


इसके साथ कन्याओं का पूजन किया जाता है. कन्याओं को माता का प्रिय भोग हलवा, पूरी और चने का प्रसाद दिया जाता है. इसके साथ ही उन्हें भेंट देकर विदा किया जाता है. इससे मां महागौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही माता का व्रत, मंत्र और जाप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है.


ऐसा होता है मां का स्वरूप
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है. उनकी सवारी बैल है. माता की चार भुजाएं हैं. मां महागौरी स्वभाव से बेहद शांत और शीतल हैं. माता के एक हाथ शंख तो दूसरे में कमल है. माता की पूजा विधि भी बेहद आसान है. मंत्र जाप और आरती से ही मां की कृपा प्राप्त हो जाती है.
चैत्र नवरात्रि अब समापन की ओर है. 16 अप्रैल 2024 को महाष्टमी पर मां महागौरी का पूजन किया जाएगा. मां महागौरी की पूजा से राहु शांत होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अगले दिन 17 अप्रैल को महानवमी नवरात्रि का आखिरी दिन होगा.मां दुर्गा की पूजा के लिए अष्टमी -नवमी तिथि बहुत महत्वपूर्ण और पुण्यफलदायी मानी गई है. इस दिन लोग घरों में कुल देवी का पूजन, कन्या पूजा करते हैं. नवरात्रि की महाष्टमी पर मां दुर्गा चंड-मुंड का संहार किया था. ऐसे में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर माता के पूजन के लिए कौन-कौन सी सामग्री इस्तेमाल होती है. जान लें
महागौरी का प्रिय भोग और पुष्प Maa Mahagauri Flower
दुर्गा का आठवां स्वरूप मां महागौरी का प्रिय पुष्प रात की रानी है. वहीं मां का प्रिय भोग पूरी और हलवा है. माता का राहु ग्रह पर आधिपत्य है. यही वजह है कि राहुदोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी की कृपा प्राप्ति से ही राहुदोष दूर हो जाता है. व्यक्ति के जीवन से राहु का प्रभाव खत्म हो जाता है.
देवी का आठवां स्वरूप महागौरी का मंत्र: “या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:”.
वहीं महा गौरी का ध्यान मंत्र “वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्. सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्..
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थितांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम.
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्..
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्.
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्..
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्.
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्.”.
- माता पूजन सामग्री – रोली, मौली, हल्दी, अक्षत, सफेद पुष्प (संभव हो तो मोगरा फूल लें), नारियल, पंचमेवा, लाल चुनरी, श्रृंगार सामग्री, फल, मिठाई, ध्वजा.
- हवन सामग्री लिस्ट (Hawan) – कुछ लोग नवरात्रि पर अष्टमी तिथि के दिन ही कुलदेवी का पूजन कर हवन करते हैं. हवन के लिए आम की लकड़ी, हवन कुंड, पंच पल्लव, जौ, गोला, अश्वगंधा, गूलर की छाल, कूपर,तिल, नवग्रह की लकड़ी, अक्षत, घी, शक्कर, इलायची, पान, लौंग की जरुरत होगी.
- कन्या पूजन का सामान (Kanya puja) – गंगाजल, पैर साफ करने के लिए कपड़ा, कलावा, फूल, लाल चुनरी, रोली, अक्षत, फल, मिठाई, कन्याओं को बांटने की सामग्री. इस दिन कन्या भोजन में काले चने, पूड़ी, हलवा बनाया जाता है.
- नवरात्रि की महाअष्टमी देवी की 8वीं शक्ति मां महागौरी को समर्पित है. इस दिन स्नान के बाद लाल वस्त्र पहनें. घी का दीपक लगाकर देवी महागौरी का आह्वान करें.
- अब मां को रोली, मौली, अक्षत, मोगरा पुष्प अर्पित करें
- माता को लाल चुनरी में सिक्का और बताशे रखकर जरूर चढ़ाएं.
- मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं. फिर आरती करें.
- घर में 9 कन्या और एक बालक को बुलाकर उनके चरण धोएं. पूजन और भोजन कराएं. दान दक्षिणा दें. लाल चुनरी ओढ़ाएं
- इस दिन जो लोग हवन कर रहे हैं वो दुर्गा सप्तशती पाठ के मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन में आहुति दें.
- हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ प्रिंट मीडिया: शैल ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट रूद्रपुर ,(उत्तराखंड) अध्यक्ष: उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद
- विक्रम संवत- 2081, पिंगल
- शक सम्वत- 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत- चैत्र
- अमांत- चैत्र
- तिथि
- शुक्ल पक्ष अष्टमी- मार्च 16 09:38 PM- मार्च 15 10:09 PM
- शुक्ल पक्ष अष्टमी- मार्च 16 10:09 PM- मार्च 16 09:38 PMनक्षत्र
- कृत्तिका- मार्च 14 04:55 PM- मार्च 15 04:08 PM
- रोहिणी- मार्च 15 04:08 PM- मार्च 16 04:05 PM
- योग
- विष्कुम्भ- मार्च 14 09:59 PM- मार्च 15 07:45 PM
- प्रीति- मार्च 15 07:45 PM- मार्च 16 06:07 PM
- सूर्य और चंद्रमा का समय
- सूर्योदय- 6:39 AM
- सूर्यास्त- 6:32 PM
- चन्द्रोदय- मार्च 15 10:01 AM
- चन्द्रास्त- मार्च 16 12:03 AM
- अशुभ काल
- राहू- 11:06 AM- 12:35 PM
- यम गण्ड- 3:33 PM- 5:03 PM
- गुलिक- 8:08 AM- 9:37 AM
- दुर्मुहूर्त- 09:01 AM- 09:49 AM, 12:59 PM- 01:46 PM
- शुभ काल
- अभिजीत मुहूर्त- 12:11 PM- 12:59 PM
- अमृत काल- 01:48 PM- 03:21 PM
- ब्रह्म मुहूर्त- 05:02 AM- 05:50 AM
- शुभ योग
- अमृतसिद्धि योग- मार्च 16 06:38 AM- मार्च 16 04:05 PM
- सर्वार्थसिद्धि योग- मार्च 16 06:38 AM- मार्च 16 04:05 PM

