सांसद अजय भट्ट की चुप्पी, नोटों की खनक या जनता की अनदेखी?

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रुद्रपुर: उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा सवाल गूंज रहा है—सांसद अजय भट्ट खामोश क्यों हैं? रुद्रपुर में रोडवेज के सामने पांच हिंदू परिवारों के मकानों पर बुलडोजर चला दिया गया, और अब 45 सालों से अपनी पुश्तैनी दुकानों पर मेहनत कर रहे व्यापारियों को भी उजाड़ने की तैयारी हो चुकी है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

लोक निर्माण विभाग (PWD) ने एक विवादित बिल्डर के कहने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दुकानों को तोड़ने का नोटिस जारी कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि जनता की आवाज संसद तक पहुंचाने वाले अजय भट्ट अब खामोश क्यों हैं?

क्या सांसद बिक चुके हैं?

रुद्रपुर की जनता अब यह मानने लगी है कि सांसद अजय भट्ट बिल्डर लॉबी के हाथों बिक चुके हैं। जब गरीबों के घर टूटे, तब वे चुप थे। जब पुश्तैनी दुकानें उजाड़ने का नोटिस आया, तब भी उन्होंने कोई आवाज नहीं उठाई। क्या यह खामोशी किसी “बड़ी डील” की ओर इशारा कर रही है?

सवाल जो सत्ता को हिला देंगे!

  1. सांसद अजय भट्ट, आप चुप क्यों हैं?
    • क्या आपको जनता ने इसीलिए चुना था कि आप बिल्डरों के हितों की रक्षा करें और गरीबों की अनदेखी करें?
  2. क्या बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नोटिस जारी हुआ?
    • जिस बिल्डर के कहने पर दुकानों को तोड़ने का फरमान जारी हुआ है, वही पहले से विवादों में घिरा हुआ है। तो आखिर इसे क्यों फायदा दिया जा रहा है?
  3. राज्य आंदोलनकारियों और उत्तराखंड के मूल निवासियों के साथ यह अन्याय क्यों?
    • जिन दुकानों को उजाड़ा जा रहा है, उनमें कई राज्य आंदोलनकारियों की दुकानें भी हैं। क्या उत्तराखंड सरकार को अपने ही आंदोलनकारियों की कोई परवाह नहीं?
  4. सांसद साहब, आपका यह अधिकार नहीं बनता कि जनता को विस्थापन का अधिकार दिलवाएं?
    • अगर कोई निर्माण अवैध है, तो उसे हटाने से पहले पुनर्वास योजना क्यों नहीं बनाई गई? क्या सरकार का काम सिर्फ गरीबों को उजाड़ना रह गया है?

अजय भट्ट, जवाब दो!

रुद्रपुर की जनता अब सड़कों पर उतरने को तैयार है। अगर सांसद ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी, तो जनता अपने वोट से उनका राजनीतिक करियर खत्म कर देगी।

उत्तराखंड सरकार से लेकर दिल्ली तक सत्ता के गलियारों में हलचल मच चुकी है। अब देखना यह है कि सांसद अजय भट्ट और उत्तराखंड सरकार इस अन्याय के खिलाफ कोई कदम उठाते हैं या फिर इस भ्रष्टाचार में पूरी तरह से डूब चुके हैं!

जनता जवाब चाहती है, और अगर जवाब नहीं मिला, तो यह लड़ाई सड़कों पर होगी!


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