मेट्रोपोलिस में  श्रीमद् भागवत  कथा का आज तीसरा दिन, मुख्य यजमान की भूमिका में mrwa उपाध्यक्ष विक्रांत फुटेला  सपरिवार श्रीमद् भागवत कथा में पहुंचे थे। श्रीमद् भागवत कथा अपने पूर्व निर्धारित समय ठीक 3:30 बजे शुरू होकर 8:00 बजे आरती के बाद समापन किया गया। आज के (प्रोग्राम) श्रीमद् भागवत कथा की पूरी व्यवस्था विक्रांत फुटेला , जो मुख्य यजमान भी थे, उनके द्वारा किया गया। प्रसाद वितरण में तरह-तरह के पकवान ड्राई फूड और फलों की लंबी श्रृंखला थी।  भक्तों  ने श्री कृष्ण श्रीमद् भागवत कथा का लुफ्त उठाया , श्रीमद् भागवत कथा में मुख्य एवं विशिष्ट अतिथि की भूमिका में।   mrwa अध्यक्ष देवेंद्र शाही, उपाध्यक्ष विक्रांत फुटेला, कोषाध्यक्ष डॉक्टर वीरपाल ,  बी एल चोमवाल, सचिव सुनील शुक्ला, हितेश लालवानी, दलीप सिंह,विनय कुमार दुबे, आदित्य कुमार, बृजेश तिवारी,जीवन खाती,सुमित सक्सेना,राजेश तिवारी,सुमेश राय,रवि सिंह, गिरीश तड़ियाल, आदि बहुत भारी संख्या में लोग उपस्थित थे । श्रीमद् भागवत कथा का कल चौथा दिन होगा। जिसमें मुख्य यजमान की भूमिका में डॉक्टर वीरपाल सिंह होंगे। यह जानकारी मंच से   संबोधित करते हुए बी,L चोमवाल ने श्रीमद् भागवत कथा में भक्त जनों  को अवगत कराया।अवगत कराते हुए की अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से नवरात्रि एवं हिंदू नूतन वर्ष का आगमन हो रहा है।नवरात्रि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रात्रों एवं दस दिनों में देवी दुर्गा /शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना का विधान है।नव संवत्सर के राजा मंगल देव और मंत्री शनि देव होंगे देव गुरु बृहस्पति मेष राशि में चंद्रमा के साथ विराजमान होकर गज केसरी योग का निर्माण कर रहे है अतिरिक्त शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होकर शुभ फल प्रदान करेंगे तथा शुक्र देव अपनी राशि में बैठकर सुख सुविधाओं में वृद्धि करेंगे।नवरात्रि के मध्य क्रमस: 9, 10,15,16 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा इसके अतिरिक्त 9 अप्रैल को अमृत सिद्धि योग बनने से सभी कार्य सिद्ध एवं शुभ फल प्रदान करेंगे।माता के आगमन की सवारीदेवी शक्ति का वाहन शेर होता है परंतु देवी जब भी पृथ्वी लोक पर विचरण करती हैं तो अलग अलग वाहन पर सवार होकर आती है जोकि सप्ताह के दिनों पर निर्भर करता है। नवरात्र का प्रारंभ मंगल वार को होने से देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी लोक में विचरण करेंगी। घोड़े पर सवार होकर आने का अर्थ सर्वसिद्धिदायक होता है शुभ फलों की प्राप्ति होगी वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी। भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी सभी मनोरथ पूर्ण होंगे।पूजा का शुभ मुहूर्त09 अप्रैल 2024 को कलश स्थापना का समय प्रातः 05:52 से 10:04 तक है। दूसरा मुहूर्त रहेगा 11:45 मिनट सेअपराह्न 12:35 तक अभिजीत मुहूर्त में। इन दोनों मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं।

Spread the love

पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में जागें नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करने के उपरांत संपूर्ण घर और पूजा स्थल को स्वच्छ करने के बाद घर में गंगाजल व गोमूत्र से छिड़काव करें व पूजा स्थल पर आसन ग्रहण करें।

माता रानी को गंगाजल से स्नान करा लाल वस्त्र और सोलह सिंगार समर्पित करें। स्वच्छ स्थान से मिट्टी लेकर, मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं।
-अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें। आम के नौ पत्तों को कलश के ऊपर रखें। नारियल में कलावा लपेटे। उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें। घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा का आह्वान करें । घी का दीपक जलाएं कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप नैवेद्य, फल अर्पित करें । दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। घी के दीपक से मां दुर्गा की आरती करें। मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बने हुए पकवानों का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त मीठा पान अवश्य चढ़ाएं और गुड़ का भोग भी आप लगा सकते हैं।
सायं काल अपने घर के मुख्य द्वार पर नौ दीपक अवश्य जलाएं सभी कष्टों का नाश होगा।

संपादक अवतार सिंह बिष्ट

Spread the love