एनआईए ने कहा कि यह मामला पुणे पुलिस द्वारा मार्च 2018 में दर्ज की गई एक प्राथमिकी से शुरू हुआ था। इस प्राथमिकी में पुणे में बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे कई बांगलादेशी नागरिकों के बारे में जानकारी मिली थी। साथ ही यह भी पता चला था कि ये नागरिक प्रतिबंधित आतंकवादी समूह अल-कायदा के मुखौटा संगठन एबीटी के सदस्यों को मदद और समर्थन दे रहे थे। अपनी जांच के आधार पर एनआईए ने सात सितंबर, 2018 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और विदेशी अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में तीन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। तीनों आरोपियों को विदेशी अधिनियम की धारा 14 (वैध दस्तावेज के बिना भारत में अधिक समय तक रहने के लिए), भारतीय दंड संहिता की धारा 471 (जाली दस्तावेजों को वास्तविक के रूप में उपयोग करने के लिए) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (जाली दस्तावेजों से संबंधित षड्यंत्र के लिए) के तहत दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई।



