तीसरे सबसे सख्त ‘दंगा रोधी’ कानून में न अपील न सुनवाई, धामी सरकार ने किए यूपी से भी सख्त प्रावधान पब्लिक-प्राइवेट प्रॉपर्टी डैमेज एक्ट पर बोले CM धामी- दंगाईयों की सात पीढ़ियां भी अब आगजनी व हिंसा करने से पहले सौ बार सोचेगी

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Hindustan Global Times/शैल ग्लोबल टाइम्स/अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश के अंदर सरकारी एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले बवाली, दंगाई यह समझ बैठे थे कि यहां पर कोई सख्ती नहीं हैं लेकिन सरकार ने ऐसा सख्त कानून बना दिया कि उनकी सात पीढ़ियां भी अब आगजनी एवं हिंसा करने के बारे में सौ बार सोचेगी।

डबल इंजन की सरकार लोक कल्याणकारी कार्यों को लेकर काम कर रही है।

2024 की शुरुआत में पूरे देश ही नहीं विश्व ने देखा कि किस तरह से अयोध्या में दिव्य एवं भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हुए। मुख्यमंत्री ने यह बात मंगलौर गुड मंडी में आयोजित लाभार्थी सम्मान समारोह के दौरान कही।

पिछड़े अल्पसंख्यकों को वोटबैंक समझ किया जाता है इस्तेमाल

सोमवार को मंगलौर मंडी में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश को आजादी मिलने के बाद लगातार एक ही पार्टी देश पर शासन करती रही। दलितों पिछड़ों अल्पसंख्यकों को वोट बैंक समझ कर उनका उपयोग किया जाता रहा लेकिन उनके उत्थान के लिए कभी कोई कार्य नहीं किया गया। जिसकी वजह से देश में गरीबी, भूखमरी, अशिक्षा तेजी से बढ़ती चली गई। देश की छवि में भी विश्व के पटल पर ठीक से नहीं बन सकी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में केंद्र में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ तब आमजन के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की गई। आज किसी भी सरकारी योजना में दलालों की दुकानें बंद हो गई है। सरकार सीधे लाभार्थी तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है।

सरकार ने देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत विकास के रास्ते पर अगर कर दिखाई दे रहा हैं। आतंकी घटनाओं पर लगाम लगी है।

संपत्ति जब्त करने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनफुलपुरा में हुई हिंसा की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दंगाइयों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए गए कानून ने अपना कार्य किया तथा मुख्य आरोपी सहित कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है। प्रदेश में कोई भी व्यक्ति कानून का उल्लंघन करेगा या हिंसा फैलाने का कार्य करेगा तो उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी साथ ही उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई अमल मिलाई जागेगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने कहा कि 2024 के चुनाव में विपक्ष कहीं नहीं है। मतदाताओं को पिछले जीत के अंतर और अधिक बढ़ा है।

सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर काम कर रही है। समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुचा है।

ये लोग रहे उपस्थित

इस मौके पर राज्य सभा सदस्य डॉ. कल्पना सैनी, नरेश बंसल, विधायक प्रदीप बत्रा, जिलाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति, दिनेश सिंह पंवार, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष जमीर हसन अंसारी, पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल, पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, जिपं अध्यक्ष किरण चौधरी, पवन तोमर, सुशील राठी, प्रभात चौधरी, डॉ मधु सिंह, श्यामवीर सैनी, विकास सैनी, डॉ जयपाल सिंह चौहान, मीरा कपिल, बीना जोशी, ऋषिपाल बालियान आदि मौजूद रहे।

इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 70 करोड़ की लागत की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।

कानून के तहत गठित होने वाले दावा अधिकरण (ट्रिब्यूनल) ने एक बार फैसला सुना दिया तो उसके खिलाफ न कोई अपील हो सकेगी न सुनवाई। अधिकरण का फैसला अंतिम होगा। उसके आदेश के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं हो सकेगी। जहां दावा अधिकरण गठित हो जाएगा, वहां किसी सिविल न्यायालय को प्रतिकर के किसी दावे से संबंधित किसी प्रश्न को अंगीकृत नहीं कर सकेगा।

उत्तर प्रदेश से सख्त कानून

दंगाइयों और उपद्रवियों को सबक सिखाने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य में यह कानून लागू है। लेकिन उत्तराखंड सरकार का कानून इन दोनों राज्यों से सख्त बताया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में दंगा-फसाद या विरोध प्रदर्शन के दौरान मृत्यु पर प्रतिवादी से पांच लाख रुपये और घायल होने पर एक लाख रुपये के जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने मृत्यु पर आठ लाख और घायल पर दो लाख का जुर्माना वसूलने का कानून बनाया है।

Uttarakhand: सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर अब दंगाइयों से होगी भरपाई, लगेगा लाखों का जुर्माना

धामी सरकार का तीसरा सबसे सख्त कानून

धामी सरकार में यह तीसरा सबसे सख्त कानून बनाए जाने का दावा किया जा रहा है। इससे पहले प्रदेश में नकलरोधी कानून लागू किया गया। कानून में आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया। जानकारों के मुताबिक, नकल रोकने के लिए देश में इससे सख्त कानून नहीं है। धामी सरकार ने दूसरा सबसे बड़ा फैसला समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को मंजूरी देने का है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसकी विधानसभा ने यूसीसी विधेयक को मंजूरी दी।

दावा अधिकरण को कार्रवाई के अधिकार

सरकार ने दंगाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए एक से अधिक दावा अधिकरण (क्लेम ट्रिब्यूनल) बनेंगे। इसी ट्रिब्यूनल के तहत दंगाइयों और उनके परिजनों, संपत्ति आदि से नुकसान की भरपाई होगी। इसके लिए एडीएम श्रेणी के अधिकारी को दावा आयुक्त को जिम्मेदारी दी जाएगी। दावा अधिकरण में रिटायर्ड जज के अलावा अन्य सदस्य होंगे।

ऐसे करेंगे दावा याचिकाः

निजी संपत्तिः निजी संपति के स्वामी संबंधित थानाध्यक्ष या थाना प्रभारी से ऐसी रिपोर्ट की प्रति प्राप्त करने के बाद नुकसान की भरपाई के लिए याचिका दाखिल करेंगे।
लोक संपत्तिः कार्यालयाध्यक्ष संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट, जो घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट पर आधार पर याचिका दाखिल करने के लिए कदम उठाएगा।

संपत्ति क्या है?

निजी संपत्तिः किसी व्यक्ति या धार्मिक निकाय, सोसाइटी, न्यास या वक्फ के स्वामित्वधीन या नियंत्रणाधीन कोई चल या अचल संपत्ति
लोक संपत्तिः केंद्र सरकार, राज्य सरकार, कोई स्थानीय प्राधिकरण, कोई निगम, सरकारी संस्था, उपक्रम
ट्रिब्यूनल का गठनः सरकार एक या उससे अधिक संपत्ति के नुकसान के दावों के लिए अधिकरणों (ट्रिब्यूनल) का गठन करेगी। इसे दावा अधिकरण कहा जाएगा। अधिकरण में अध्यक्ष रूप में सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश स्तर का हो। साथ ही अपर आयुक्त की श्रेणी के अधिकारी स्तर के सदस्य हों।
ट्रिब्यूनल की शक्तियांः दंगा, फसाद, अशांति आदि की घटनाओं में किसी लोक या निजी संपत्ति के नुकसान का समुचित प्रतिकर का निर्णय करेगा। उचित समझेगा तो जांच भी करा सकेगा। नुकसान का आकलन कराने या अनुसंधान के लिए एक दावा आयुक्त नियुक्त कर सकेगा। प्रत्येक जिले में नियुक्त पैनल से दावा आयुक्त की सहायता करने के लिए एक आकलनकर्ता भी रख सकेगा। दावा आयुक्त तीन माह में अपनी रिपोर्ट दावा अधिकरण को देगा। दावा अधिकरण पक्षकारों की सुनवाई करेगा। अधिकरण को सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी। उसे सिविल न्यायालय के रूप में समझा जाएगा।
विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने वाला भी प्रतिवादीः जिस विरोध प्रदर्शन या घटना के कारण निजी या लोक संपत्ति को क्षति पहुंची है, उस घटना का आह्वान करने वाला भी प्रतिवादी माना जाएगा। कानून के तहत नुकसान की भरपाई ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों से भी की जा सकेगी जिसने या जिन्होंने ऐसे कार्यों को करने का आह्वान किया या उसे प्रायोजित किया।

Hindustan Global Times/शैल ग्लोबल टाइम्स/अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर उत्तराखंड

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