
उन्होंने एनसीएलएटी के इस फैसले पर विरोध जताते हुए सुनवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इन परियोजनाओं को लेकर अन्य कंपनी ने भी प्रस्ताव दिए थे, लेकिन उन पर चर्चा किए बिना एनबीसीसी के पक्ष में फैसला सुना दिया गया।


एनसीएलएटी ने सुनवाई के बाद 12 दिसंबर 2024 को इस मामले में फैसला सुनाया था। इसके तहत कंपनी की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी को सौंप दी गई थी। एनबीसीसी ने 12 से 36 माह में इन परियोजनाओं को पूरा करने का दावा किया था। इसके बाद एनबीसीसी की टीम इन परियोजनाओं पर कब्जा लेकर सर्वे करने का दावा कर रही हैं।
हालांकि, इन परियोजनाओं पर काम करने वाले ठेकेदारों का कहना है कि उन्होंने एनबीसीसी की टीम को कोई काम करने नहीं दिया है। उनकी बकाया राशि देने के बाद ही कोई कंपनी यहां काम कर सकेगी। अब एनबीसीसी को परियोजनाएं दिए जाने का विरोध सुपरटेक कंपनी के चेयरमैन ने भी किया है।
चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा कि अन्य कंपनी सुपरटेक की परियोजनाओं को कम लागत और कम समय में पूरा करने के लिए तैयार थी, लेकिन उनके प्रस्तावों पर चर्चा नहीं की गई और एनबीसीसी के पक्ष में फैसला दिया गया। इसके विरोध में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण और कंपनी को लोन देने वाले बैंक ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। वह अपने बकाये के भुगतान की मांग कर रहे। उल्लेखनीय है कि सुपरटेक की नोएडा, ग्रेटर नोएडा में दस परियोजनाओं समेत कुल 16 प्रोजेक्ट में 49,748 फ्लैट हैं, जिनमें से 39,888 फ्लैट की बिक्री हो चुकी है।
छह शहरों में 16 प्रोजेक्ट
शहर संख्या
नोएडा – 5
ग्रेटर नोएडा – 5
मेरठ – 2
गुरुग्राम -2
रुद्रपुर -1
बेंगलुरु -1
