सोमवार सुबह 4.3 तीव्रता के भूकंप ने दिल्ली, एनसीआर, मेरठ और गुरुग्राम को हिला दिया. लोग डर के मारे सड़कों पर निकल आए. भूवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भूकंप की तीव्रता थोड़ी और ज्यादा होती तो बड़ा नुकसान हो सकता था.

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क्योंकि दिल्ली एनसीआर सेस्मिक जोन 5 में आता है, जो भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है. दिल्ली के पास उत्तराखंड भी इसी जोन में है. खतरा इसलिए भी बड़ा है, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक टिहरी बांध भी यहीं पर है. भूवैज्ञानिकों के अनुसार, अगर तेज तीव्रता का भूकंप आता है तो टिहरी बांध भी टूट सकता है. अगर टिहरी बांध टूटा तो इसकी तबाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी चपेट में दिल्ली एनसीआर भी आ जाएंगे.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

गौरतलब है कि टिहरी बांध बनाने के लिए पूरे टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा था. 36 गांव पूरी तरह से डूब गए थे और 88 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए थे. टिहरी जल विद्युत परियोजना के लिए इस बांध को बनाया गया था. यह बांध 42 किलोमीटर के एरिया में फैला है. अगर भूकंप की वजह से बांध टूटता है तो 22 मिनट में यह खाली हो जाएगा और 12 घंटे के भीतर मेरठ समेत दिल्ली एनसीआर को अपनी चपेट में ले लेगा. पूरा शहर करीब 250 फीट पानी से डूब जाएगा. यानी बांध टूटने की स्थिति में सबसे बड़ा खतरा दिल्ली एनसीआर पर होगा.

एक घंटे में डूब जाएगा ऋषिकेश और हरिद्वार
बांध के टूटने से महज एक घंटे के भीतर उत्तराखंड के दो बड़े शहर ऋषिकेश और हरिद्वार भी डूब जाएंगे. 12 घंटे में मेरठ, बिजनौर और बुलंदशहर पूरी तरह से जलमग्न हो जाएंगे. बता दें कि 2006 में टिहरी बांध बनकर पूरा हुआ था. भूवैज्ञानिकों का मानना है कि अगर टिहरी बांध टूटता है तो यह दुनिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा होगी, जिससे बचना लगभग नामुमकिन होगा.


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