संपादकीय;स्कूल बस से बच्ची की दर्दनाक मौत: लापरवाह ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पर उठे सवाल, स्कूल प्रबंधन की भूमिका पर सख्त कानून की मांग

Spread the love

गदरपुर थाना क्षेत्र के पिपलिया नंबर एक गांव में शनिवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने स्कूलों की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आनंद पब्लिक स्कूल, पिपलिया नंबर दो में नर्सरी में पढ़ने वाली चार वर्षीय तृषा मंडल की स्कूल बस से गिरकर मौत हो गई। घटना तब हुई जब बस रुकने के बाद बच्ची उतर रही थी, लेकिन लापरवाहीवश बस चल पड़ी और वह उसके नीचे आ गई।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]

परिजनों का आरोप है कि बस चालक और हेल्पर की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। बच्ची को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस ने चालक और हेल्पर को हिरासत में लिया है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है — क्या सिर्फ यहीं तक जिम्मेदारी सीमित है?

यह अकेला मामला नहीं है। रुद्रपुर ही नहीं, पूरे उत्तराखंड और देशभर में समय-समय पर ऐसे हादसे होते रहते हैं। लेकिन स्कूल प्रबंधन अक्सर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलता है, क्योंकि अधिकतर स्कूल बसें ठेके पर चलाई जाती हैं, और उन पर स्कूल का नाम तक नहीं लिखा होता — सिर्फ ‘स्कूल बस’ लिखा होता है।

ज़रूरी है जवाबदेही तय करना

स्कूलों को सिर्फ शिक्षा देने तक सीमित नहीं रखा जा सकता, वे अपने छात्रों की सुरक्षा के भी जिम्मेदार हैं। ट्रांसपोर्ट सेवा का संचालन अगर ठेके पर किया जा रहा है, तो भी प्रबंधन की जवाबदेही तय होनी चाहिए। जब तक कोई स्पष्ट कानून या नीति नहीं बनेगी, ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति होती रहेगी।

हम सरकार से यह मांग करते हैं:

  1. स्कूल ट्रांसपोर्ट सेवा के संचालन में पूरी जवाबदेही स्कूल प्रबंधन की तय हो।
  2. सभी स्कूल बसों पर स्पष्ट रूप से स्कूल का नाम, नंबर और ड्राइवर/हेल्पर की जानकारी हो।
  3. हर बस में CCTV कैमरे और सुरक्षा उपाय अनिवार्य किए जाएं।
  4. लापरवाही की स्थिति में स्कूल प्रबंधक पर भी आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।

इस घटना की समीक्षा कर सख्त कानून बनाए जाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई और तृषा अपनी जान न गंवाए। यह केवल एक बच्ची की मौत नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी का प्रतीक है।



Spread the love