पंत नगर।कृत्रिम गर्भाधान, इसके लाभ, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, पशु-पोषण, संतुलित आहार, पशुओं की बीमारियों से बचाव की जानकारी , कृत्रिम गर्भाधान, उत्तराखंड जैवप्रौद्योगिकी परिषद हल्दी में दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें जैवप्रौद्योगिकी की संगति और किसानों की प्रगति का प्रशिक्षण दिया गया। समापन सत्र में निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि जैवप्रौद्योगिकी सभी विज्ञान का समाहित स्वरूप

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जैवप्रौद्योगिकी आधारित स्वरोजगार से सभी वर्गों को लाभ पहुंच रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों के किसान, पशुपालक जैवप्रौद्योगिकी आधारित कृषिकरण, पशुपालन एवं स्वरोजगार कर रहे हैं। इसमें निपुण बनकर किसान एवं युवा अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
मुख्य अतिथि एवं पंतनगर विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अजीत सिंह नैन ने कहा कि भारत की 60 फीसद आबादी खेती पर निर्भर है। भारत अनेक देशों में अनाज का निर्यात कर रहा है। नई तकनीक का हस्तांतरण किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। तकनीकी सत्र के विशिष्ट अतिथि विशेषज्ञ डॉ. शिव प्रसाद मौर्या, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष ने पशुओं के प्राकृतिक, कृत्रिम गर्भाधान, इसके लाभ, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, पशु-पोषण, संतुलित आहार, पशुओं की बीमारियों से बचाव की जानकारी दी। विशेषज्ञ डॉ. विपुल गुप्ता एवं डॉ. प्रमोद मल्ल ने बताया कि देश में करीब 15 फीसदी लोग मत्स्य उत्पादन से जुड़े हैं।
विशेषज्ञ डॉ. ललित भट्ट ने सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान किसानों से संबंधित जानकारी मैन्युअल का विमोचन किया गया। वहां कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. सुमित पुरोहित, डॉ. मणिंद्र मोहन, डॉ. कंचन कार्की, डॉ. साक्षी पैन्यूली, डॉ. प्रमोद मल्ल आदि रहे।


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