— रु. करोड़ों का वेतन भुगतान, नियमविहीन पदोन्नति, और 10 वर्षों की चुप्पी – यह है उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का CAS महा घोटाला।

Spread the love

विशेष रिपोर्ट | हिन्दुस्तान ग्लोबल टाइम्स

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में ‘CAS घोटाला’: बिना नियम, बिना स्वीकृति, बंट गया प्रमोशन का प्रसाद!

रिपोर्ट: अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर | दिनांक: 16 जुलाई 2025

रु. करोड़ों का वेतन भुगतान, नियमविहीन पदोन्नति, और 10 वर्षों की चुप्पी – यह है उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का CAS महा घोटाला।

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में 2014 व 2015 में की गई शिक्षकों की पदोन्नति, विनियमितिकरण और बाद में 2018 में की गई नियुक्तियाँ आज गंभीर सवालों के घेरे में हैं। दस्तावेज़ी साक्ष्यों और विश्वविद्यालय के ही पदोन्नति आदेशों से स्पष्ट है कि ये सारी प्रक्रियाएं बिना वैध परिनियमावली और बिना रिक्त पदों की गणना के संपन्न हुईं। अब जब शासन तक शिकायतें पहुँची हैं, एक बार फिर सवाल उठ रहा है – आखिर इस घोटाले पर कार्यवाही कब?


बिंदु संख्या – 01: पदोन्नति पहले, नियम बाद में!

वर्ष 2014 (दिसंबर) और 2015 (फरवरी) में तत्कालीन प्रशासन ने विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षकों को ‘Career Advancement Scheme’ (CAS) के तहत पदोन्नति दे दी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उस समय तक उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की सेवा परिनियमावली प्रख्यापित ही नहीं हुई थी।

UGC की CAS स्कीम में API स्कोर, समयबद्ध सेवा, और कठोर शर्तें निर्धारित होती हैं।

लेकिन इस मामले में “प्रस्तावित परिनियम” के आधार पर ही पदोन्नति कर दी गई – जो एक स्पष्ट विधिक उल्लंघन है।

कैबिनेट/राज्यपाल की स्वीकृति के बिना कोई “प्रस्तावित नियम” वैधानिक नहीं हो सकता।

शासन की परिनियमावली थी मौजूद – पर उसे नज़रअंदाज़ किया गया

उत्तराखण्ड आयुष महाविद्यालय अध्यापक सेवा नियमावली 2011 पहले से राजपत्रित थी।

इसमें स्पष्ट था कि पदोन्नति विभागीय पदों के आधार पर होगी – रिक्त पद, विभागवार वरिष्ठता, और सेवा की अवधि आवश्यक होगी।

CAS में रिक्त पद की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन API और समयबद्धता का पालन अनिवार्य होता है।

यहाँ न तो API रिपोर्टिंग हुई, न विभागवार विवरण मौजूद था, फिर भी सैंकड़ों शिक्षकों को AGP-7000 से लेकर 10000 तक प्रमोट कर दिया गया।


AG कार्यालय ने पकड़ी गड़बड़ी, पर विश्वविद्यालय बना ‘मौन साधक’

महालेखाकार (AG) की ऑडिट रिपोर्ट में कई शिक्षकों को अवैध पदोन्नति पर अतिरिक्त वेतन दिए जाने का उल्लेख किया गया था। वसूली की अनुशंसा भी की गई। लेकिन न विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्यवाही की, न शासन ने कभी इन आदेशों को लागू किया।

नियमों की धज्जियाँ: CAS के नाम पर ‘सेलेक्शन प्रमोशन’

CAS में किसी भी शैक्षणिक योग्यता की छूट नहीं दी जा सकती, परंतु कई ऐसे शिक्षक प्रमोट हुए जिनके पास अनिवार्य न्यूनतम योग्यता ही नहीं थी।

तदर्थ शिक्षकों का विनियमितिकरण भी सीधे उच्च वेतनमान के पदों पर कर दिया गया – बिना विज्ञापन, बिना चयन समिति, और बिना दस्तावेज़ सत्यापन के।

2018 में भी दोहराया गया खेल: नई भर्तियाँ और पदोन्नति

वर्ष 2018 में पुनः बड़ी संख्या में पदोन्नति और भर्तियाँ हुईं – अधिकांश उन्हीं को लाभ पहुँचा जिन्हें पहले मनमाने तरीके से प्रमोट किया गया था। जो लोग पहले ‘नियम विहीन लाभार्थी’ थे, वही बाद में विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया के निर्देशक, सदस्य और साक्षात्कारकर्ता बन गए।

सवालों के घेरे में विश्वविद्यालय प्रशासन

क्यों नहीं आज तक CAS प्रमोशन की जांच हुई?

API स्कोर, विभागवार सृजित पद, वरिष्ठता सूची क्यों सार्वजनिक नहीं की जाती?

कैसे एक ‘प्रस्तावित नियम’ के आधार पर पदोन्नति वैध मानी गई?

10 वर्षों में एक भी दोषी के विरुद्ध क्यों नहीं हुई अनुशासनात्मक कार्यवाही?

शिकायतकर्ता की चिट्ठी में खुली गड़बड़ियों की पोल

दिनांक 13 मई 2025 को सचिव, आयुष विभाग को भेजी गई शिकायत में कहा गया है:

> “…यह महाघोटाला कोई एक दिन की भूल नहीं, बल्कि एक सुनियोजित भ्रष्टाचार की श्रृंखला है जो लगातार शासन को गुमराह करती आ रही है। बार-बार उन्हीं लाभार्थियों को समितियों में बैठाकर जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है।”

निष्कर्ष: क्या उत्तराखण्ड शासन करेगा कार्यवाही?

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में इस CAS महाघोटाले ने न केवल UGC की गाइडलाइन्स को दरकिनार किया, बल्कि राज्य की अधिसूचित नियमावली को भी अवैध रूप से बाईपास कर दिया। 10 वर्षों में किसी ने इसकी वैधता पर सवाल नहीं उठाया क्योंकि जो लाभार्थी थे, वही जांचकर्ता बने रहे।

अब प्रश्न यह है – क्या वर्तमान शासन इस 10 वर्ष पुराने पदोन्नति घोटाले पर निष्पक्ष जांच कर दोषियों को दंडित करेगा? या यह भी किसी ‘पलायन और भूल’ की तरह इतिहास में दर्ज हो जाएगा?

(आपके पास भी विश्वविद्यालयों या संस्थानों में हुए ऐसे किसी घोटाले की जानकारी हो? हमें hindustanglobaldesk@gmail.com पर भेजें। हम आपकी पहचान गुप्त रखेंगे।)

यह लेख मूल दस्तावेजों, शिकायत पत्र और ऑडिट रिपोर्टों पर आधारित है।
©2025 Hindustan Global Times


Spread the love