अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के राजनीतिक निहितार्थ

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भारत सरकार ने पांच वर्ष पूर्व 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और धारा 35(ए)को निरस्त कर जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था ।धारा 370 एवं 35 (ए) की समाप्ति तथा जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के निर्णय का प्रभाव संपूर्ण भारतवर्ष पर पड़ा था। धारा 370 को 17 अक्टूबर 1949 को भारत के संविधान में भाग 21 में अस्थाई तथा संक्रमणकालीन उपबंध के रूप में शामिल किया गया था जो जम्मू कश्मीर को विशेष स्वायत्तता एवं अपने राज्य का संविधान बनाने की अनुमति देता था, जबकि भारत की संघात्मक व्यवस्था में भारत को “राज्यों का संघ” घोषित किया गया है जिसके तहत राज्यों को संघ से अलग संविधान बनाने का अधिकार नहीं दिया गया है, लेकिन हमारे संविधान में कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं इसी के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान किया गया था विशेष दर्जा प्राप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर राज्य के संविधान निर्माण के लिए 31 अक्टूबर 1951 को संविधान सभा का विधिवत गठन हो गया और 26 जनवरी 1957 को जम्मू– कश्मीर में इस संविधान को विधिवत लागू कर दिया गया
भारत सरकार ने संवैधानिक आदेश (सी.ओ. 272 )के जरिए 5 अगस्त 2019 को भारत के संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू कश्मीर में लागू कर दिया, जिस कारण जम्मू कश्मीर राज्य का संविधान स्वत: समाप्त हो गया चूंकि अब अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के पांच वर्ष बीत चुके हैं इन पांच वर्षों में जम्मू कश्मीर में कई परिवर्तन हुए हैं।

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 के संसद से पारित होने व राष्ट्रपति की सहमति के बाद 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू कश्मीर विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश के रूप में परिवर्तित हो गया जिसके परिणामस्वरुप राज्यपाल के संवैधानिक पद को लेफ्टिनेंट गवर्नर में परिवर्तित कर दिया गया है ।
5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू और कश्मीर की शासन प्रणाली में भी बदलाव आया। धारा 370 के निरस्तीकरण के बाद अक्टूबर 2020 में जम्मू कश्मीर ने “जम्मू पंचायती राज कानून “को अपनाया जिसके तहत अब जम्मू कश्मीर के हर जिले में जिला विकास परिषद (डी.डी.सी )का गठन कर दिया गया है। हर डी.डी.सी में 14 सदस्य सीधे निर्वाचित होंगे इस तरह से पूरे जम्मू कश्मीर के 20 जिलों से 280 सदस्य डी.डी.सी. में निर्वाचित होंगे ।डी.डी.सी. ने राज्य में पहले से चल रहे जिला विकास बोर्ड (डी.डी.बी)की जगह ली ।
अनुच्छेद 370 के समापन के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में पंचायती राज व्यवस्था को लागू कर दिया है जिसके पश्चात जम्मू कश्मीर में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू हो गई है जिसके कारण ही पंचायत व खंड विकास परिषद और जिला विकास परिषद का जम्मू कश्मीर में गठन हो पाया है।

अनुच्छेद 370 और 35 (ए) के हटने के बाद जम्मू कश्मीर में भारत संघ के 170 से अधिक कानून लागू हो गए हैं इसके साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य के 160 से अधिक कानूनों को समाप्त कर दिया गया है तथा जम्मू -कश्मीर राज्य के लगभग 160 कानूनों को भारतीय संविधान के अनुरूप अनुकूलित कर दिया गया है।
धारा 370 के समाप्त होने के पिछले दो-तीन वर्षों के बाद पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है पर्यटकों की संख्या को देखते हुए नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन की पहचान की जा रही है!

अनुच्छेद 370 हटाने के ऐतिहासिक कदम के बाद सरकार ने कश्मीरी पंडितों के जमीनों पर हुए कब्जे तथा दबाव में जमीन बेच डालने वाले मामलों में सख्ती दिखाई है, इसके अतिरिक्त जम्मू- कश्मीर में पहली बार पंचायती चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण तथा जम्मू -कश्मीर के सिक्खों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल चुका है, इन सबके अतिरिक्त पिछले 5 वर्षों में जम्मू- कश्मीर में कई राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
डॉ पंकज सिंह
सहायक प्राध्यापक
राजनीति विज्ञान विभाग
डी.एस.बी. परिसर नैनीताल
( ये लेखक के अपने विचार है )


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