उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी में सकारात्मक पहल,

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उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियो की स्थिति दयनीय स्थिति में है। जब से उत्तराखंड का निर्माण हुआ है तब से कांग्रेस और बीजेपी की सरकार बारी बारी से सत्ता के सिंहासन पर विराजमान रही , लेकिन सभी सरकारों ने राज्य आंदोलनकारियो के बारे में कुछ नहीं सोचा आज हमारे राज्य के आंदोलनकारी के बारे मै माननीय पुष्कर सिंह धामी, आंदोलनकारी के बारे में जो सोचा, और जो कार्य किये जा रहे हैं वह बहुत ही सराहनीय है। 23 वर्षों से जो राज्य आंदोलनकारियों की समस्याएं चली आ रही थी। उनका 2023 में समाधान धामी सरकार द्वारा होने जा रहा है ।सभी राज्य आंदोलनकारियो धामी सरकार के हमेशा आभारी रहेंगे। जिस प्रकार से आंदोलनकारी व आंदोलनकारियो के परिजनों को जो सुविधा मिल रही हैं और देने जा रहे हैं। वह धामी जी की सोच का ही नतीजा है। सरकार के द्वारा जो सुविधाएं दी जा रही है। वह सब बीपीएल कार्ड धारकों को भी मिल रही है। एक लंबे संघर्ष के बाद राज्य आंदोलनकारी जिन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अपना सब कुछ निछावर किया, वास्तविक राज्य आंदोलनकारी आज भी चिन्हितकरण की आस लगाए बैठे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल मैं राज्य आंदोलनकारी का स्तर थोड़ा सा उठा। 30 अगस्त 2021 खटीमा शहीद स्मारक मैं आमरण अनशन के पश्चात माननीय मुख्यमंत्री से वार्ता के उपरांत, (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के ज्ञापन) मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार पुष्कर सिंह धामी के द्वारा राज्य आंदोलनकारी के पक्ष में खटीमा शहीद स्मारक 1 सितंबर 2021 को जो जो घोषणा की लगभग सभी मांगे या तो मान ली गई या फिर कानूनी दाव पेच में उलझी मांगे लोकसभा चुनाव से पहले धरातल पर आ सकती है। जिसमें 10% क्षैतिज आरक्षण मुख्य है।
उत्तराखंड राज्य की परिक्रमा तभी सार्थक हो सकती है ।जब उत्तराखंड राज्य के लिए अपनी शहादत देने वाले राज्य आंदोलनकारी के परिवारों को सरकार अपने प्रयासों से उनके परिवारों के जीवन स्तर में सुधार करें । उन्हें हर वह सुविधा माहिया कराई जाए जो शहीद के परिवारों को मिलनी चाहिए। 9नवंबर 2000 को नए राज्य का गठन हुआ, तब से अब तक का राज्य में राजनीतिक सफर भारी उथल-पुथल भरा रहा। हालांकि यहां केवल भाजपा और कांग्रेस की ही सरकारें रही हैं, वह भी बारी-बारी से। केवल 2022 के चुनावों में मिथक टूटा, सत्ताधारी दल भाजपा बहुमत से चुनाव जीती और सत्ता में लगातार बनी रही। भगवान जोशी वरिष्ठ उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी


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